आज लेजेंड एक्टर देव आनंद की डेथ एनिवर्सरी है. उन्हें दुनिया छोड़े कई साल हो गए, पर फिर भी लगता है कि वो यहीं है. उनका सिनेमा, उनके गीत, उनकी जिंदादिली, उनकी अदायगी... सब सिनेमा प्रेमियों के दिलों में हमेशा हमेशा के लिए जिंदा रहेगा. उनका झुक-झुक कर संवाद अदायगी का खास अंदाज हो, या फिर फीमेल फैन्स की बात. अपने दौर में रूमानियत और फैशन आइकन रहे देव आनंद को लेकर यूं तो कई किस्से मशहूर हैं, लेकिन आज उनकी डेथ एनिवर्सरी पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ अनकही बातें.
देवसाहब ने अपनी शर्ट का ऊपर का बटन कभी नहीं खोला
फिल्मों में धोती-कुर्ता पहनकर पेश हुए देव आनंद ने बाद में विलायती अंदाज़ अपना लिया और अपनी रंगीन तबीयत के अनुकूल गले में स्कार्फ बाँधना शुरू किया. वे शर्ट की सबसे ऊपर वाली बटन तक बंद रखते थे. देव आनंद ने अपनी किसी फिल्म में कभी अपनी शर्ट का बटन नहीं खोला. और धीरे धीरे यही उनकी स्टाइल बन गई. कहा जाता है कि लोग ये सोचकर उनकी फ़िल्में देखने जाते थे कि हो सकता है कि इस बार ये बटन खुल जाए, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ और इसके पीछे वजह भी बड़ी दिलचस्प है. दरअसल शर्ट के सारे बटन बन्द करने की आदत देव साहब को बचपन से ही थी. दूसरे उन्हें अपनी बॉडी को लेकर कॉम्पलेक्स सा था. उन्हें लगता था कि उनका चेहरा तो ठीक-ठाक था, पर मसल्स बिल्क़ुल नहीं थे. वजह से वो हमेशा अपनी बॉडी को पूरा कवर ही किए रहे. ये बात अलग है कि उनका ये अंदाज भी उनके स्टाइल का हिस्सा बन गया.
गर्दन झुकाने के उनके वो गजब अंदाज के पीछे क्या था सच?
दरअसल गर्दन झुकाकर बात करना, झुककर चलना ये उनकी बचपन की आदत थी. उनकी यही आदत फिल्मों में उनकी अदा बन गई. लोग उनकी इसी चाल, झुककर डायलॉग डिलीवरी के अंदाज़ के दीवाने हो गए. खुद देव साहब ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि बचपन में झुककर चलने और बात करने की उनकी आदत ही फिल्मों में आने के बाद उनकी पहचान और आत्मविश्वास बन गई.
काला कोट पहनने पर लगा दी थी कोर्ट ने पाबंदी
देव साहब के कई किस्से आपने सुने होंगे, लेकिन काले कोट से जुड़ा एक किस्सा बेहद दिलचस्प है जब कोर्ट ने उन्हें सार्वजनिक जगहों पर काला कोट पहनने पर बैन लगा दिया था. दरअसल फ़िल्म 'काला पानी' में देव साहब सफेद शर्ट पर काला कोट पहने नजर आए थे और उन पर काला कोट इतना खूबसूरत लगता था कि उनके इस लुक पर लड़कियों के साथ- साथ लड़के भी फिदा हो गए थे. देव आनंद जब भी सफेद शर्ट के ऊपर काले रंग का कोट पहनकर बाहर निकलते थे, तो उन्हें देखने के लिए लड़कियों की भारी भीड़ लग जाती थी. उन्हें उस कोट में देख कर लड़कियां छत से छलांग लगाने तक को तैयार थीं. आखिरकार इस मामले में कोर्ट को दखल देना पड़ा और कोर्ट ने देव साहब के काला कोट पहनने पर बैन लगा दिया.
जब उनकी फिल्म देखने के लिए थिएटर के बाहर गोलियां चल गई थीं
सिनेमा के इस सुपरस्टार की फैन फॉलोइंग इतनी ज्यादा थी और इनकी फ़िल्म देखने की ऐसी दीवानगी होती थी लोगों में कि फ़िल्म रिलीज़ होते ही थियेटर फुल हो जाते थे. टिकट लेने के लिए लोग धूप में घंटों लाइन लगाते थे. कहते हैं कि देव साहब की फिल्म 'जॉनी मेरा नाम' जब रिलीज हुई तो फर्स्ट डे फर्स्ट शो के लिए भीड़ लग गई. उस वक्त जमशेदपुर के एक सिनेमाघर के बाहर फिल्म के टिकट के लिए तो गोलियां चल गई थीं, जिसमें दो छात्रों की मौत तक हो गई. इस घटना के बाद एक सप्ताह के लिए नटराज टॉकिज बंद कर दिया गया. इस कदर लोगों के दिलों दिमाग पर हावी थे देव आनंद.
फिट रहने के लिए कभी योगा नहीं किया
देव साहब बड़ी उम्र तक युवा ही नज़र आते रहे. उम्र का उनपर कभी असर हुआ ही नहीं. वो आखिरी सांस तक फिट और हेल्दी रहे. शायद ही किसी को यकीन हो, लेकिन देव साहब ने फिट रहने के लिए कभी योग या डाइटिंग नहीं की. वो कहते थे, 'मैं एक एक्टर हूँ, एक्टर के लिए ज़रूरी है कि वो प्रजेंटेबल हो. आपको अच्छा लगना चाहिए. कुछ भी हो आपको खुद को साबित करने और होड़ में बनाए रखने के लिए खुद को फ़िट रखने की बहुत ज़रूरत है.' लेकिन उनका मानना था कि इसके लिए सिर्फ अनुशासन की ज़रूरत होती है. वो खुद बेहद अनुशासित थे. वो योग नहीं करते थे, लेकिन योगी की तरह रहते थे. सादा खाना, दाल-रोटी खाते थे, शराब, सिगरेट को हाथ तक नहीं लगाते थे. यहां तक विदेशों में जाते तो वहां भी भारतीय खाना ही खाते थे. यही कारण है कि वो हमेशा फ़िट नज़र आए.
देवानंद को हुआ था 3 बार इश्क लेकिन...
रोमांस के बादशाह देव साहब को अपने जीवन में तीन बार इश्क हुआ. सुरैया के साथ उनकी लव स्टोरी के बारे में तो सभी जानते हैं. लेकिन इस प्यार की राह आसान नहीं थी. सुरैया मुस्लिम थीं, सो इस मोहब्बत में मजहब आड़े आ गया, उनकी नानी ने देव साहब को अपनाने से इंकार कर दिया था. इसके बाद उनकी ज़िंदगी में आईं कल्पना कार्तिक, जो देवानंद के बड़े भाई चेतन की पहली पत्नी की बहन थीं. कल्पना से देव साहब ने शादी कर ली और उनके दो बेटे भी हुए, लेकिन कुछ सालों बाद उनके रिश्ते में भी वो बात नही रही.
इसके बाद देव साहब को उम्र के उस पड़ाव पर तीसरी बार ज़ीनत अमान से मोहब्बत हुई, जब उनका बेटा 12 साल का था. लेकिन ज़ीनत पहले ही किसी और से दिल लगा बैठी थीं, इसलिए देव साहब का ये प्यार भी परवान नहीं चढ़ पाया और वो पूरी ज़िंदगी ज़ीनत अमान के अच्छे दोस्त बने रहे.