माता-पिता द्वारा अपने नवजात शिशु को प्यार व स्नेहभरा स्पर्श किए जाने के साथ ही उनके रिश्ते का पहला बंधन बंधता है. शिशुओं के रोज़ाना ख़्याल रखने की बात हो या फिर उनकी कोमल त्वचा की देखभाल, उन्हें विशेष रूप से अतिरिक्त देखभाल एवं सुरक्षा की आवश्यकता होती है. वयस्क की तुलना में शिशु की त्वचा लगभग 20-30% कम पतली होती है और इसमें जलन या खुजली पैदा होने का अधिक ख़तरा होता है, इसलिए उनकी त्वचा की उचित देखभाल अत्यावश्यक है. क्योंकि शिशु के स्वस्थ विकास में हेल्दी स्किन का महत्वपूर्ण योगदान होता है.
इस नवजात शिशु देखभाल सप्ताह के अवसर पर, जॉन्सन एंड जॉन्सन कंज्यूमर हेल्थ इंडिया की जनरल मैनेजर डॉ. प्रीति ठाकोर ने सर्वोत्तम ढंग से त्वचा की देखभाल के तरीक़ों के बारे में बताया, जो नवजात शिशु के संपूर्ण विकास में सहायक हो सकते हैं.
स्पर्श का प्रभाव
कहा जाता है कि नवजात शिशु सबसे पहले जिस भाषा को समझता है, वो होती है स्पर्श की भाषा. यह संवाद का प्रभावशाली तरीक़ा भी है. शुरू-शुरू में त्वचा से लगातार स्पर्श, बच्चे के संपूर्ण स्वास्थ्य में सहायक होता है. विशेष तौर पर जन्म के तुरंत बाद अधिक समय तक त्वचा से त्वचा के संपर्क से शिशु को स्तनपान शुरू करने में मदद मिलती है. अध्ययनों से पता चला है कि नियमित स्पर्श से शिशु के शारीरिक, भावनात्मक एवं सामाजिक विकास को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है.
मालिश है ज़रूरी
शिशु के साथ अपने रिश्ते को मज़बूत बनाने का शानदार तरीक़ा है मालिश. शिशु के नियमित मसाज से स्वस्थ विकास में सहायता मिलती है. यह पैरेंट्स और शिशु के संबंध को मज़बूत बनाने का बेहतरीन ज़रिया भी है.
मसाज टिप्स
- मालिश हल्के-हल्के और प्यार से सहलाकर करें और ध्यान रहे कि पूरे शरीर का मसाज हो.
- आपको मालिश के लिए ऐसे तेल का चुनाव करना चाहिए, जिसकी सौम्यता चिकित्सकीय दृष्टि से प्रमाणित हो और जो नवजात शिशु की त्वचा के लिए उपयुक्त हो.
- यह ऐसी होनी चाहिए जिसे त्वचा जल्द सोख ले.
- जिसमें त्वचा को नम व कोमल बनानेवाले तत्व मौजूद हों.
- प्राकृतिक तेलों के उपयोग को नवजात शिशु की त्वचा की देखभाल के लिए उत्तम माना जाता है.
- वनस्पति तेल, नारियल तेल और कपास के बीज से निकाले गए अर्कयुक्त तेल का इस्तेमाल बेहतर है, क्योंकि इसमें विटामिन ई भरपूर मात्रा में होते हैं. यह शिशु की नर्म-मुलायम त्वचा के लिए लाभदायक भी होता है.
आनंदायक तरीक़े से स्नान कराएं
ऐसा माना जाता है कि स्नान का समय अपने शिशु के साथ जुड़ाव पैदा करने के लिहाज से सबसे उपयुक्त समय होता है. रिसर्च से पता चला है कि बच्चे के मस्तिष्क के विकास को आकार देने में विभिन्न इन्द्रियों से जुड़े अनुभव महत्वपूर्ण होते हैं. स्नान के समय शिशु को रूप, रस, गंध, स्पर्श एवं ध्वनि का बोध एक साथ मिलता है. नवजात शिशु के साथ प्यारभरी बातें करते और हंसते-खेलते हुए इस प्रक्रिया को मज़ेदार बनाएं. .
बच्चे की कोमल त्वचा की सुरक्षा के लिहाज से उन्हें नहलाने के लिए सही उत्पादों का चुनाव महत्वपूर्ण होता है.
इसलिए, उन्हें नहलाने के लिए माइल्ड सोप-शैंपू का इस्तेमाल करें.
जो हल्का हो, जिससे त्वचा में जरा भी जलन न हो. साथ ही ध्यान रहे कि यह चिकित्सकीय रूप से भी प्रामाणिक तौर पर सौम्य हो.
यह हाइपोएलर्जेनिक तत्वों से तैयार किया गया हो, तो अच्छा है.
डायपर
नवजात शिशु की त्वचा को बाहरी दुनिया के अनुरूप ढलने में समय लगता है. इसी कारण अक्सर उन्हें त्वचा संबंधी सामान्य समस्याएं होती रहती हैं, जैसे- फुंसी, त्वचा पर दाने, डायपर रैश आदि. शिशु की त्वचा की देखभाल के लिए सही चीज़ों का चुनाव इसमें कारगर साबित होता है. उदाहरण के लिए शिशु को पर्याप्त डायपर्स ब्रेक देकर डायपर रैश से बचाया जा सकता है. यदि शिशु अधिक समय तक गिला डायपर ही पहना रहे, तो उससे रैशेज हो जाएंगे. इस कारण उन्हें परेशानी होने लगती है.
डायपर पहनाई जानेवाली जगह साफ़ और सूखी हुई होनी चाहिए. इसके लिए त्वचा को रगड़ने की बजाय उसे सहलाकर सूखा लें. आप इसके लिए बेबी वाइप्स या नरम कपड़े के साथ पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं.
त्वचा को नम बनाए रखें
शिशु की त्वचा को बराबर नम यानी माॅइश्चराइज़ रखा जाना महत्वपूर्ण है. सामान्य तौर पर नवजात शिशुओं में स्किन पीलिंग एवं ड्राई स्किन जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं, इसलिए शिशु की त्वचा को नम बनाए रखना ज़रूरी है. इसके लिए ऐसे क्रीम का उपयोग करें, जो विशेष तौर पर नवजात शिशु की संवेदनशील त्वचा को ध्यान में रखकर बनाई गई हो. जो चिपचिपी न हो. आप शिशु के शरीर पर ऐसे लोशन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनका पीएच नवजात शिशु के लिए संतुलित हो और जो त्वचा को तुरंत नमी प्रदान करे. साथ ही चौबीस घंटे तक त्वचा नम बनी रहे. सबसे अच्छा तो यही है कि शिशु को नहलाने के तुरंत बाद लोशन या क्रीम लगाएं. वैसे इसे किसी भी समय में लगाया जा सकता है.
- ऊषा गुप्ता
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