आपका फिटनेस लक्ष्य जो भी हो, आप इसे आयुर्वेद तरीक़े से प्राप्त कर सकते हैं. सुनने में अच्छा लग रहा है? निश्चित रूप से, यह हो सकता है. करोना के कारण महामारी से उपजी शहरी जीवनशैली संबंधी बीमारियों ने हमें आयुर्वेद के लिए प्रेरित किया ही है. आयुर्वेद के गुणों व लाभों का उपयोग हम ख़ुद को सेहतमंद और चुस्त-दुरुस्त रखने में कर सकते हैं.
आयुर्वेद की प्राचीन स्वास्थ्य प्रणाली जीवन, दीर्घायु और आपके समग्र कल्याण पर केंद्रित है- यह शारीरिक, मानसिक या आध्यात्मिक हो. आत्म-चिकित्सा के विज्ञान के रूप में, आयुर्वेद विभिन्न आहार, जीवनशैली, मालिश और औषधीय जड़ी-बूटियों को शामिल करता है, जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. इस सन्दर्भ में डॉ. दीपेश महेंद्र वाघमारे, जो मिलेनियम हर्बल केयर के चिकित्सा सलाहकार कार्यकारी हैं, ने कई उपयोगी बातें बताई. जानते हैं कि आयुर्वेद फिट रहने में कैसे मदद करता है.
आपको ऊर्जावान बनाए रखता है…
क्या आप दिनभर के काम के बाद सुस्त महसूस करते हैं? क्या आपको सुबह उठने और जिम की क्लास या अपने योग सत्रों को पूरा करने के लिए उत्साह की कमी महसूस होती है? ऐसी स्तिथि में कॉफी या स्टेरॉयड इसका समाधान नहीं है. आपके शरीर को सुस्ती दूर करने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की आवश्यकता होती है. अश्वगंधा, ब्राह्मी और तुलसी जैसी जड़ी-बूटियां आपके शरीर के शारीरिक और मानसिक तनाव में लचीलापन बढ़ाकर आपकी ऊर्जा बढ़ा सकती हैं. यह दिनभर अच्छा महसूस करने में भी मदद करती हैं. ऊर्जावान बने रहने के लिए इन जड़ी-बूटियों के गर्म काढ़े से अपने दिन की शुरुआत करें.
बेहतर शारीरिक क्षमता
अगर आप बहुत ज़्यादा एक्सरसाइज़ कर रहे हैं, तो आपके स्टैमिना भी तेजी से कम होता है. मनोवैज्ञानिक तनाव और शारीरिक गतिविधि को पारस्परिक रूप से संबंधित माना जाता है. ध्यान रहे कि स्टैमिना की कमी भी एक तनावग्रस्त दिमाग़ का परिणाम है. अश्वगंधा, ब्राह्मी और शतावरी जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां शक्ति को बढ़ाने और मांसपेशियों को ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ानेे में मदद करती हैं. यह आपको मानसिक रूप से भी आराम देती हैं.
अपने दैनिक आहार में धनिया के बीज, दालचीनी, जीरा और नट्स जैसे बादाम के साथ मसाले मिलाएं. सभी सही और पर्याप्त अनुपात में मिश्रित होते हैं, जो शरीर को ऊर्जावान बनाते हैं.
मेटाबॉलिज्म में वृद्धि
यदि आपके पास एक सेलुलर मेटाबॉलिज्म है, तो आपके फिटनेस के सबसे तेज़ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं. गुडूची (टीनोस्पोरा कॉर्डिफ़ोलिया) जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां आपके आंत-स्वास्थ्य को ठीक करने में मदद करती हैं. यह आंतों में अच्छी आंत माइक्रोबायोम को बढ़ाती है, जो एक लघु-श्रृंखला फैटी एसिड का उत्पादन करती है और शरीर में वसा के भंडार को विनियमित करने में मदद करती है. सामान्य सीमा के भीतर रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में सहायता करती है.
दालचीनी जैसे मसाले आपके शरीर में वसा कोशिकाओं के निर्माण को रोकने में मदद कर सकते हैं, जबकि हल्दी या हल्दी में मौजूद करक्यूमिन वसा कोशिकाओं को प्रभावी ढंग से जलाने और शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करता है.
अपने नियमित आहार में काली मिर्च को शामिल करने से आपके मेटाबॉलिज्म को इसके थर्मोजेनिक प्रभाव होते हैं. एक ग्लास जीरे के पानी के साथ लेनेे सेे मदद मिल सकती है. एक ग्लास पानी में एक चम्मच जीरा उबालें. इसे सुबह लेना अधिक फायदेमंद है.
स्वस्थ शरीर
प्राचीन आयुर्वेदाचार्यों ने 'Balaardh' की अवधारणा की वकालत की. इसका मतलब है कि किसी भी तरह के कठोर अभ्यास के लिए शरीर की पूरी शक्ति का केवल 50% भाग का उपयोग होता है. आधुनिक फिटनेस विशेषज्ञ भी जोरदार व्यायाम सत्रों के बीच 24 घंटे के आराम की सलाह देते हैं, ताकि शरीर को पूरी तरह से ठीक हो सके.
तिल के बीज के तेल के साथ एक अभ्यंग (आत्म-मालिश) जोड़ों, मांसपेशियों और ऊतकों में दर्द से राहत के लिए एक पारंपरिक प्रक्रिया है.
हल्दी और अदरक जैसी जड़ी-बूटियां सूजन को कम करने में मदद करती हैं.
अश्वगंधा और बाला मांसपेशियों को मज़बूत बनाने और पोषण करने में जादुई हैं.
प्रोटीन से भरपूर फलियों को शामिल करने से आपकी मांसपेशियां मज़बूत होती हैं.
बादाम, खजूर, केसर और घी आपको पर्याप्त रूप से फिर से जीवंत करते हैं. इससे कठिन और कठोर वर्कआउट सत्रों से तेजी से उबरने में मदद कर सकते हैं.
लचीलापन
फिटनेस में हड्डी और जोड़ों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा. क्रीक्स और दर्द कम उम्र से ही आपके गति में बाधा उत्पन्न करने लगते हैं, मुख्यतः अस्वस्थ जीवनशैली के कारण महिलाओं को तीस की उम्र से ही ध्यान रखना चाहिए. आयुर्वेद कई जड़ी-बूटियों की सलाह देता है, जो पारंपरिक रूप से हड्डी की ताकत, जोड़ों के लचीलेपन में सुधार और दर्द को कम करने के लिए उपयोग किए जाते हैं.
हडजोड, सलाई गुग्गुल, अश्वगंधा और बाला जैसी जड़ी-बूटियां हड्डी की कोशिका के होमियोस्टेसिस को बहाल करने, हड्डी में सुधार और सूजन को कम करने में लाभदायक है.
दशमूल (10 जड़ी-बूटियों की जड़ें) तेल भी जोड़ों और मांसपेशियों की कठोरता को कम करने में सहायक है. इससे लचीलेपन में भी सुधार होता है.
अच्छी नींद
अच्छी नींद हमेशा ही शरीर के लिए महत्वपूर्ण है. जब आपका शरीर ख़ुद को ठीक करने और उसकी मरम्मत करने में सक्षम हो, तो आपकी फिटनेस व्यवस्था को अच्छी नींद के साथ संतुलित करना चाहिए, ताकि आप अगले दिन एक बार फिर से मैट हिट करने के लिए दौड़ें.
ब्राह्मी, शंखपुष्पी, सर्पगंधा, वचा और अश्वगंधा ऐसी आवश्यक जड़ी-बूटियां हैं, जो आपके नर्वस सिस्टम को आराम देती हैं, मानसिक थकान से राहत दिलाती हैं और आपके दिमाग़ पर शांत प्रभाव डालती हैं. आयुर्वेद स्वास्थ्य की अवधारणा का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए एक प्राचीन लेकिन अत्यंत प्रासंगिक प्रणाली है, सही लक्ष्य निर्धारित करें और सभी फिट रहें.
- ऊषा गुप्ता
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