दुनियाभर में लगभग 8-12 फ़ीसदी जोड़ों को बांझपन यानी इन्फर्टिलिटी की समस्या का सामना करना पड़ता है. इसमें 40-50 फ़ीसदी बांझपन के मामलों में एक महिला गर्भधारण करने में सक्षम नहीं होती है, तो वो पुरुष बांझपन के कारण होता है. महिला प्रजनन क्षमता के विषय पर व्यापक रूप से चर्चा करने पर यह पाया गया कि एंडोमेट्रियोसिस और पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसी स्थिति महिला बांझपन और जटिलताओं के लिए काफ़ी हद तक ज़िम्मेदार हैं.
जबकि पुरुष बांझपन की स्थितियों में संक्रमण, हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, स्तंभन दोष, प्रतिगामी स्खलन, भारी धातुओं, रसायनों जैसे जोख़िम शामिल हैं. इसके लक्षण प्रदर्शित नहीं होते, इसलिए इन अंतर्निहित स्थितियों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. अक्सर गर्भ धारण करने की प्लानिंग करते समय इसका पता चलता है. पुरुष बांझपन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर डॉ. क्षितिज मुर्डिया जो इंदिरा आईवीएफ (आईवीएफ और इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ) के सीईओ हैं, ने महत्वपूर्ण जानकारियां दीं.
पुरुष बांझपन के कारण
जीवनशैली
पुरुषों में बांझपन का एक प्रमुख कारण अस्वस्थ जीवनशैली माना गया है. इसलिए डॉक्टर्स पौष्टिक आहार और नियमित रूप से व्यायाम के साथ-साथ जीवनशैली में संतुलन बनाए रखने की सलाह देते हैं. जीवनशैली में बदलाव लाकर और तनाव घटाकर उन हार्मोन को कम किया जा सकता है, जो शरीर में शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करते हैं.
तनाव
वर्तमान में ऑफिस या बिज़नेस पर अत्याधिक दबाव ने पुरुषों में तनाव के स्तर को बढ़ा दिया है, जो उनके प्रजनन स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. तनाव का न केवल पुरुषों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर सीधा प्रभाव पड़ता है, बल्कि इसका असर शारीरिक भी होता है. तनाव के कारण वे हार्मोन रिलीज़ हो सकते हैं, जो टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम कर सकते हैं. साथ ही ग्लूकोकोर्टिकोइड्स जैसे शुक्राणु उत्पादन को भी कम कर सकते हैं.
मादक पदार्थ
अल्कोहल, तंबाकू, धूम्रपान जैसे पदार्थों का सेवन प्रजनन स्वास्थ्य में बाधा डालता है. ये पुरुषों में विभिन्न प्रजनन जटिलताओं के लिए अग्रणी वीर्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं. तंबाकू को कम शुक्राणुओं की संख्या के साथ जोड़ा गया है, क्योंकि यह शुक्राणुजनन को प्रभावित करता है.
विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना
कीटनाशकों, रेडियोधर्मी रसायनों, भारी धातुओं आदि जैसे विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना और पुरुषों में वृषण क्षेत्र का गर्म होना उनकी प्रजनन क्षमता के लिए हानिकारक होता है.
ऐसे मामलों में स्पर्म काउंट और अन्य पहलुओं पर विचार करने के बाद ही सफल गर्भाधान के लिए उपचार और संशोधनों का सुझाव दिया जाता है, जिनमें से सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) भी है.
बांझपन को दूर करने के लिए जीवनशैली में बदलाव करके नियमित व्यायाम, स्वस्थ और संतुलित आहार लेने के साथ-साथ अल्कोहल, तंबाकू जैसे पदार्थों के सेवन से बचकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है. इसके अलावा प्रजनन क्षमता विशेषज्ञ के अनुसार, दवाओं और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी विधियों जैसे कि इंट्राकाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) और आईएमएसआई (इंट्राकाइटोप्लास्मिक मॉर्फोलॉगिक रूप से चयनित शुक्राणु इंजेक्शन) भी पुरुष बांझपन को दूर करने में मददगार हो सकते हैैं.
- ऊषा गुप्ता
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