एक जंगल में किसी बात को लेकर दो बकरियों में झगड़ा हो गया. उनका झगड़ा देख एक साधु वहीं रुक गया.
उसी समय वहां से एक सियार भी गुज़रा, वह बहुत भूखा था और भोजन की तलाश में ही था. जब उसने दोनों बकरियों को झगड़ते देखा, तो वो बेहद खुश हुआ क्योंकि उसको लगा कि उसके भोजन की व्यवस्था हो गई और उन बकरियों को देख उसके मुंह में पानी आ गया.
देखते ही देखते उन बकरियों की लड़ाई इतनी बढ गई कि दोनों ने एक-दूसरे को लहूलुहान कर दिया. दोनों के शरीर से खून निकलने लगा था. उस सियार ने जब ज़मीन पर फैले खून को देखा, तो उसे चाटने लगा और धीरे-धीरे उनके करीब जाने लगा. खून चाटने के बाद उसकी भूख और लालच और भी ज़्यादा बढ़ गय. उसने सोचा क्यों ना मौक़े का फ़ायदा उठाया जाए और इनकी लड़ाई का लाभ उठाकर इनको मार गिराया जाए और अपनी भूख मिटाई जाए.
बस फिर क्या था, सियार के कदम आगे बढ़ने लगे और दूर खड़ा साधु यह सब देख रहा था. सियार को दोनों बकरियों के बीच जाते हुए जब साधु ने देखा, तो सोचा कि अगर सियार इन दोनों बकरियों के और करीब गया, तो वो मुसीबत में पड़ सकता है और उसकी जान भी जा सकती है.
लेकिन साधु यह सोच ही रहा था कि तब तक सियार खुद को रोक नहीं पाया और वो दोनों बकरियों के बीच पहुंच गया. बस फिर क्या था, जैसे ही बकरियों ने उस सियार को अपने पास आते देखा, तो दोनों अपनी लड़ाई भूल गईं और लड़ना छोड़कर उस पर हमला कर दिया. सियार इसके लिए तैयार नहीं था. वो समझ ही नहीं पाया और अचानक हुए हमले से वो खुद को संभाल नहीं पाया.
सियार इस हमले में गंभीर रूप से घायल हो गया और भाग खड़ा हुआ, जाने उसकी जान बच भी पाई या नहीं.
इसके बाद बकरियां ने भी लड़ना छोड़ दिया और अपने घर लौट गईं. साधु भी ने भी अपनी राह पकड़ ली.
सीख: अपने लालच पर क़ाबू रखना चाहिए और कभी भी दूसरों की लड़ाई में नहीं कूदना चाहिए. दूसरी ओर किसी को भी कमज़ोर नहीं आंकना चाहिए और हां आपस में भी लड़ना ग़लत है क्योंकि दूसरे इसका फ़ायदा उठा सकते हैं.