- शादी के कुछ वर्षों बाद हो सकता है आपको यह लगे कि इस व्यक्ति से शादी करके बड़ी भूल हुई है. ऐसा इसलिए लगता है, क्योंकि दोनों के स्वभाव और आदतें भिन्न होती हैं.
- उस समय उन बातों को याद करें, जो कभी आप दोनों को एक-दूसरे की बातें बहुत ही अच्छी लगती थीं.
- उन बातों, उन पलों को याद करें, जिनकी वजह से आप एक-दूसरे के बिना एक पल भी गुज़ारना नहीं चाहते थे.
- आपने एक लंबा सफ़र उन्हीं आदतों और अच्छाइयों के साथ तय किया है, इस बात को न भूलें.
- व़क्त के साथ बहुत-सी आदतें बदलती हैं. हो सकता है आज किन्हीं कारणों से एक-दूसरे को इतना व़क्त नहीं दे पा रहे, जितना कभी देते थे, लेकिन इसका मतलब रिश्ते का अंत नहीं है. इन्हें ही याद करके, आपसी समझदारी से रिलेशनशिप को फिर से एक मौक़ा दें.
- किसी भी रिलेशनशिप के बिखराव का सबसे बड़ा कारण ईगो होता है. अगर आपसे कोई ग़लती हो जाती है, तो बेहिचक साथी को सॉरी कह दें. यह मानकर चलें कि सॉरी बोलना एक ऐसी अच्छी बात है, जो आपके ईगो को सिर उठाने नहीं देता और आपके संबंधों में भी प्यार व विश्वास बना रहता है.
- मनोवैज्ञानिक नीलिमा पाठक के अनुसार, पुरानी ग़लतियों, बातों को याद करके लड़ने-झगड़ने से बेहतर है, उन्हें भूलकर या उन्हें माफ़ कर रिश्ते को एक और मौक़ा दें.
- यक़ीनन एक माफ़ी रिलेशनशिप को बचाने का कारगर फॉर्मूला साबित होगा, क्योंकि ग़लतियों को नज़रअंदाज करना बिल्कुल सही नहीं, लेकिन उन्हें माफ़ कर देना बहुत ही बड़ी वजह बन सकती है रिलेशनशिप को दोबारा शुरू करने में.
- पति-पत्नी दोनों का वर्किंग होना आज की जीवनशैली को मेंटेन रखने के लिए एक ज़रूरत बन गया है.
- जिस तरह से दोनों मिल-जुलकर आर्थिक ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करते हैं, उसी तरह से घरेलू काम में भी एक-दूसरे की मदद अवश्य करें.
- अगर पत्नी वर्किंग ना भी हो, तो भी घर में इतने काम होते हैं कि वह थक जाती है, लेकिन आमतौर पर लोगों की यह धारणा होती है कि घर का काम करने का ज़िम्मा स़िर्फ महिलाओं का है, पर यह ज़रूरी नहीं है कि घर का सारा काम केवल पत्नी ही करे. ऐसे में अगर आप उसकी थोड़ी-सी मदद कर दें, तो उसके मन में आपके प्यार की डोर और ज़्यादा मज़बूत होगी.
- आपकी यह छोटी-सी पहल आपकी पत्नी के मन में प्यार के साथ-साथ आपके प्रति सम्मान भी बनाए रखेगी. हमेशा ये कोशिश करनी चाहिए कि आप अपने साथी के चेहरे से उनकी प्यारी मुस्कान को कभी न जाने दें.
- अगर पति-पत्नी के बीच तकरार होती रहती है, तो इसे वैचारिक भिन्नता से ज़्यादा इस बात की निशानी मानना चाहिए कि उनके बीच जुड़ाव बहुत अधिक है. मनोवैज्ञानिक आराधना मलिक के अनुसार, “झगड़ा इस बात का प्रतीक होता है कि संबंधों में जीवंतता बरक़रार है. वे चाहे कितना ही झगड़ें, पर एक-दूसरे से अलग नहीं हैं.
- सच्चाई तो यह है कि कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता है. कमी हर रिश्ते की तरह पति-पत्नी के रिश्ते में भी होती है.”
- आपसी जुड़ाव तभी उत्पन्न होता है, जब एक साथी को यह पता हो कि दूसरा साथी क्या सोच रहा है या क्या महसूस कर रहा है. इसका अर्थ यह हुआ कि विचारों की भिन्नता को एक-दूसरे के समक्ष लाना, न कि चुप रहकर मन ही मन घुलते रहना. बोलकर, अपनी राय देकर इस नतीजे पर पहुंचना कि क्या सही है और क्या ग़लत, एक स्वस्थ रिश्ते की निशानी है.
- एक सुदृढ़ और सम्मानजनक रिलेशनशिप के लिए साथी की पसंद-नापसंद का ध्यान रखना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि आप स्वयं की इच्छाओं का ख़्याल रखते हैं.
- उसे आपकी कोई बात अच्छी नहीं लगती है, तो उसे बदलने की कोशिश करें.
- इसी तरह से इस बात का ख़्याल रखें कि ऐसी कौन-सी बातें हैं, जिनके ज़िक्र मात्र से आपके जीवनसाथी के चेहरे पर मुस्कान छा जाती है और कौन-सी ऐसी बातें हैं, जिनसे वह परेशान या दुखी हो जाता है.
- यही नहीं, साथी को क्या खाना पसंद है, उसका पसंदीदा रंग कौन-सा है जैसी छोटी-छोटी बातें आप दोनों के प्यार को और बढ़ाएंगी.
- नीलिमा पाठक के अनुसार, आप इस बात को भी ध्यान में रखें कि आपका साथी आपसे कैसे व्यवहार की उम्मीद करता है या किस चीज़ में उसकी रुचि ज़्यादा है.
- इन बातों के पता होने से आप अपने साथी को कभी भी दुख देने के बारे में नहीं सोच पाते हैं.
- कोई भी व्यक्ति अपने स्वभाव को एक दिन में नहीं बदल सकता, इसलिए उसे समय व सहयोग दें.
- दांपत्य जीवन में कई बार ऐसा होता है कि एक छोटी-सी बात इतनी बढ़ जाती है कि वो एक बड़े मुद्दे का रूप ले लेती है. तब पति-पत्नी एक-दूसरे से बोलना तक छोड़ देते हैं और चुप्पी साध लेते हैं, लेकिन जब ये चुप्पी टूटती है, तो इससे घर एक जंग के मैदान में बदल जाता है.
- कभी भी अपने दांपत्य जीवन में ऐसी स्थिति न आने दें. अपने साथी के साथ हर बात शेयर करें.
- वैसे भी साथी का अर्थ ही ये है कि जो हमेशा आपके सुख और दुख में आपके साथ हो, साथ ही जिससे आप अपने दिल की हर बात को खुलकर कह सकें.
- आपस की प्रॉब्लम्स को ख़त्म करने का इससे बेहतर तरीक़ा शायद ही कोई दूसरा हो.
- रिलेशनशिप को निभाने में क्या परेशानियां आ रही हैं, किन बातों को लेकर झगड़े हो रहे हैं, इन सभी बातों के पीछे की वजहों को जानने की कोशिश करें.
- किन तरीक़ों से उन्हें सुलझाया जा सकता है, इसके बारे में भी सोचें और मिलकर बातचीत करें. साथ ही एक-दूसरे की बातों को भी सुनें.
- कई बार बेवजह की ग़लतफ़हमियों से भी रिश्ते में दरार आ जाती है, जिन्हें बातचीत के ज़रिए बड़ी ही आसानी से दूर किया जा सकता है. अपने साथी से मन की बात कहने में आख़िर बुराई ही क्या है और अगर इस वजह से तक़रार हो भी जाए, तो मुद्दा सुलझ भी तो जाता है.
- बात चाहे छोटी ही क्यों न हो, चुप रहने की बजाय बात सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए. बहस से बचने के चक्कर में अगर झगड़ा न किया जाए, तो समस्या गंभीर बन सकती है और रिश्ते में दरार भी आ सकती है.
- मैरिज काउंसलर मणिका मानती हैं कि झगड़ा करना स्वास्थ्यवर्द्धक भी होता है और अगर उसका उपयोग ठीक तरह से किया जाए, तो वह रिश्ते को पुख्ता करने और ऊर्जावान बनाने में भी सहायक होता है. पर इसका अर्थ यह नहीं है कि जब भी आपको लगे कि रिश्ते में गरमाहट की कमी हो रही है, आप झगड़ा करने लगें.
- पति-पत्नी का संबंध ऐसा होता है कि उनके बीच कोई भी विवाद बहुत लंबे समय तक चल ही नहीं सकता है, इसलिए अगर तक़रार हो भी गई हो, तो उसे तूल न दें और न ही यह उम्मीद रखें कि साथी आपको मनाए. बिना हिचक के साथी से माफ़ी मांग लें. इससे आप किसी भी तरह से उसकी नज़रों में छोटे नहीं होंगे, बल्कि आपकी पहल आपके संबंधों को और प्रगाढ़ता देगी.
- एक-दूसरे पर पाबंदियां लगाने की बजाय, एक-दूसरे को और उनके विचारों को आज़ादी दें.
- रिलेशनशिप को जितना बांधकर रखा जाएगा, उतनी ही दूरियां बढ़ेंगी.
- मैरिज काउंसलर अदिती छाबड़ा का मानना है कि जो गाइडलाइन्स आपने पार्टनर के लिए तय की हैं, उन्हें ख़ुद भी फॉलो करें. अपनी बात साथी पर थोपें नहीं.
- आप चाहे अपने घर में हों या ऑफिस में, दिन में कम से कम एक बार तो पार्टनर से फोन पर बात ज़रूर करें.
- उनसे पूछें कि दिन कैसा गुज़र रहा है, उनकी तबियत कैसी है इत्यादि.
- मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि ये छोटी-छोटी बातें दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ाती हैं और इन्हीं छोटी-छोटी बातों से उनके बीच के रिश्ते की अहमियत हमेशा बनी रहती है.
- अगर आप चाहते हैं कि आपका साथी आपको प्यार करे और आपकी बात को मान दे, तो इसके लिए यह बेहद ज़रूरी है कि आप अपने जीवनसाथी से जुड़े सारे संबंधों को खुले दिल से स्वीकार करें.
- उसके परिवार के सदस्यों का सम्मान करें. जब आप अपने जीवनसाथी के माता-पिता को अपने माता-पिता की तरह मान-सम्मान देंगे और उसके भाई-बहनों को अपने
- भाई-बहन की तरह प्यार करेंगे, तो यक़ीनन आपके संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी.
- सुमन बाजपेयी
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