रामानन्द सागर के श्रीकृष्णा सीरियल के कृष्ण की मनमोहक मुस्कान को भला कौन भूल सकता है. स्वप्निल जोशी द्वारा बाल्यकाल के एपिसोड के बाद बड़े श्रीकृष्ण के रोल के लिए सर्वदमन डी बैनर्जी को चुना गया था. सर्वदमन की आकर्षक छवि और मनमोहक मुस्कान ने दर्शकों पर ऐसा जादू किया कि बहुत से लोग टीवी पर उन्हें देखते ही हाथ जोड़ लेते थे. लेकिन श्रीकृष्णा सीरियल के बाद उन्होंने कुछ आध्यात्मिक फिल्में कीं और ग्लैमर इंडस्ट्री को छोड़ अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए पहाड़ों का रुख किया.
सर्वदमन ने फिल्म इंडस्ट्री के बाद ऋषिकेश में एक मेडिटेशन सेंटर खोला है. मेडिटेशन की ओर उनका बचपन से ही लगाव था. देश और विदेश से आनेवाले लोग यहां पर योग व ध्यान के बारे में सीखते हैं. इसके अलावा सर्वदमन पंख नामक एक एनजीओ भी चलाते हैं. यहां वो क़रीब 200 गरीब बच्चों की पढाई-लिखाई का जिम्मा संभालते हैं. साथ ही 50 से अधिक महिलाओं को ट्रेनिंग देकर अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाते हैं.
श्रीकृष्णा के बाद सर्वदमन ने कुछ और आध्यात्मिक प्रोजेक्ट्स पर काम किया, जिसमें शंकराचार्य, दत्तात्रेय और स्वामी विवेकानंद शामिल हैं. शंकराचार्य को 1983 का बेस्ट फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला था. आखिरी बार सर्वदमन एम एस धोनी फिल्म में उनके कोच चंचल आचार्य के रोल में नज़र आये थे.
एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने बताया था कि लोगों को लगता है कि इस इंडस्ट्री में बहुत ग्लैमर है, पर वो ग्लैमर सिर्फ़ बाहर से देखनेवालों के लिए है, यहां काम करनेवालों के लिए कोई ग्लैमर नही है. उन्होंने यह भी बताया कि श्रीकृष्णा सीरियल की शूटिंग के दौरान तेज़ रौशनी में काम करने के कारण उनकी आंखों की रौशनी पर प्रभाव पड़ा था. श्रीकृष्णा सीरियल में भगवान का किरदार निभानेवाले सर्वदमन आज कई बच्चों और महिलाओं के जीवन में वही स्थान रखते हैं.
- अनीता सिंह