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फिल्म रिव्यूः पति पत्नी और वो और पानीपत (Film Review Of Pati Patni Aur Woh And Panipat)
फिल्मः पति-पत्नी और वो
कलाकारः कार्तिक आर्यन, भूमि पेडनेकर, अनन्या पांडे, अपारशक्ति खुराना, सनी सिंह
निर्देशनः मुदस्सर अजीज
स्टारः 3.5
यह फिल्म 1978 में संजीव कुमार, विद्या सिन्हा और रंजीता की फिल्म का रीमेक है जिसमें कार्तिक आर्यन, अनन्या पांडे और भूमि पेडनेकर ने भूमिकाएं निभाई हैं. जिसे हम क्लासिक और एक नए वर्जन का नाम दे सकते हैं, तकरीबन चार दशक के बाद इस फिल्म का रीमेक बनाया गया है जहां स्टोरीलाइन और ह्यूमर में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है.
कहानीः पति-पत्नी और वो लखनऊ के अभिनव उर्फ चिंटू त्यागी ( कार्तिक आर्यन) की कहानी है. चिंटू एक आदर्श बेटा है. वो पढ़ने-लिखने में हमेशा अव्वल आता था. पढ़ाई में अच्छा होने के कारण उसे PWD विभाग में नौकरी मिल जाती है. चिंटू की शादी वेदिका त्रिपाठी (भूमि पेडनेकर) से शादी होती है. दोनों के प्यार की गाड़ी 3 साल के बाद बैक सीट पर आने लगती है. पत्नी के दिल्ली सेटल होने के टॉर्चर से परेशान चिंटू त्यागी लखनऊ नहीं छोड़ना चाहता. इस बीच चिंटू की जिंदगी में ग्लैमरस तपस्या सिंह (अनन्या पांडे) की एंट्री होती है. जो कि लखनऊ में बिजनेस करने के लिए आती है. तपस्या से मिलने के बाद चिंटू की बोर पड़ी जिंदगी में बहार आती है. चिंटू तपस्या की ओर आकर्षित हो जाता है. उन दोनों की नजदीकी का राजदार चिंटू का दोस्त फहीम रिजवी (अपारशक्ति खुराना) है, वह चिंटू को शादी और दुनियादारी की बातें समझाने की कोशिश करता है, मगर इससे पहले की चिंटू पत्नी वेदिका और वह तपस्या के बीच कोई संतुलन साध पाता, हालात आप से बाहर हो जाते हैं, कहानी में ढेर सारा ड्रामा और कन्फ्यूजन पैदा हो जाता है. इसके बाद चिंटू त्यागी पत्नी और वो के बीच किस तरह फंसता है, ये मसाला देखने के लिए आपको फिल्म देखने पड़ेगी.
एक्टिंगः फिल्म के सभी कलाकारों ने कमाल की एक्टिंग की है. कार्तिक आर्यन चिंटू त्यागी के रोल में ढल गए हैं. जिस तरह के बॉडी लैंग्वेज और नर्वसनेस के साथ स्मार्टनेस की जरूरत इस किरदार को थी, उसे कार्तिक ने बखूबी अंजाम दिया है. फिल्म में कार्तिक का छोटा सा मोनोलॉग भी हैं, जिसपर सिनेमाहॉल में तालियां बजने लगती है. दूसरी फिल्म में अनन्या पांडे का काम अच्छा है. ग्लैमरस डीवा बनीं अनन्या की एक्टिंग में कॉन्फिडेंस साफ झलकता है. पतिव्रता पत्नी के रोल में भूमि पेडनेकर का काम भी शानदार है. अपारशक्ति खुराना के साथ कार्तिक की दोस्ती के क्या कहने, कई सीन्स में दोनों की एपिक ट्यूनिंग मजेदार बन पड़ी है.
निर्देशनः मुदस्सर अजीज का डायरेक्शन कमाल का है. फिल्म शुरुआत से लेकर आखिर तक बांधे रखती है. कास्टिंग, कॉमिक टाइमिंग, डायलॉग, एक्टिंग, स्क्रीनपले सब परफेक्ट है. फिल्म के गाने तो पहले से ही चार्टबस्टर पर ट्रेंड कर रहे हैं. डायरेक्टर और राइटर मुदस्सर अजीज़ ने क्रीटीक्स को समझकर ही कहानी को लिखा है क्योंकि वे जानते थे कि इस रीमेक को पुरानी फिल्म के साथ कंपेयर किया जाएगा. पति पत्नी और वो’ कार्तिक आर्यन के फैंस के लिए मस्ट वॉट फिल्म है. जो लोग बॉलीवुड मसाला फिल्म देखना पसंद करते हैं वे देख सकते हैं.
फिल्मः पानीपत
कलाकारः अर्जुन कपूर, संजय दत्त, कृति सेनन
निर्देशकः आशुतोष गोवारिकर
स्टारः 3
आशुतोष गोवारिकर ने फिल्म ‘पानीपत’ एक ऐसी एतिहासिक कहानी पर बनाई है जिसमें रचनात्मक स्वतंत्रता के साथ पानीपत की तीसरी लड़ाई के बारे में बताया गया है. जो अफगानिस्तान के शासक अहमद शाह अब्दाली और मराठाओं के बीच लड़ी गई थी. जिसका नेतृत्व सदाशिवराव भाऊ ने किया था. आपको बता दें कि इतिहास में इस लड़ाई को काफी महत्वपूर्ण माना गया है.
कहानीः ये कहानी है 14 जनवरी 1761 में मराठाओं और अफगानों के बीच लड़ी गई तीसरी लड़ाई के बारे में. इस लड़ाई में सदाशिव राव भाउ ने उस समय के सबसे खूंखार अफगानी बादशाहों में से एक अहमद शाह अब्दाली के साथ युद्ध लड़ा था और ये युद्ध इतना जबरदस्त था कि अब्दाली ने भी मराठाओं की बहादुरी और दृढ़ता की दाद दी थी.
एक्टिंगः फिल्म में सदाशिव भाउ का किरदार निभाया है अर्जुन कपूर ने और उनका काम काबिल-ए-तारीफ है. अर्जुन कपूर एक शूरवीर योद्धा का किरदार निभा रहे हैं और इसमें होते हुए भी एक बेहद नम्र इंसान के रूप में नजर आए हैं. उनका गुस्सा, उनकी नम्रता और उनका देशप्रेम तो देखने लायक है ही साथ ही उनका कृति सेनन के साथ रोमांस भी काफी अच्छा है. कृति सेनन इस फिल्म में सदाशिव राव भाउ की पत्नी पार्वती बाई के किरदार में हैं. कृति सेनन इस फिल्म में बेहद खूबसूरत लगी हैं. उनका लुक, उनकी अदाएं और उनकी एक्टिंग कमाल की है. इतना ही नहीं युद्ध में उनकी भागीदारी भी काफी दिलचस्प है. अब्दाली के किरदार में संजय दत्त ने कमाल किया है.
निर्देशनः आशुतोष गोवारिकर में 1761 के काल को जीवंत कर दिया है. भव्य सेट्स, शानदार कॉस्टयूम, उस समय का रहन सहन, सेनाय अस्त्र-शस्त्र यह सारी चीजें बेहद रिसर्च के साथ आशुतोष सफलतापूर्वक पर्दे पर उतारते हैं. इस तरह की फिल्म बनाना हर किसी के बस की बात नहीं कोशिश के लिए बधाई के हकदार हैं. नितिन देसाई का आर्ट डायरेक्शन और नीता लुल्ला का कॉस्ट्यूम इस तरह के पीरियड ड्रामा के लिए प्लस पॉइंट साबित होता है. सीके मरलीधरन की सिनेमैटोग्राफी ने इतिहास के उस दौर को खूबसूरती से कैप्चर किया है. अजय-अतुल के संगीत में 'सपना है सच है' गाना मधुर बन पड़ा है. फिल्म का संगीत लाजवाब है फिल्म की कोरियोग्राफी भी कलरफुल तो है ही साथ ही साथ भव्य भी है. एडिटिंग डिपार्टमेंट थोड़ा और काम कर सकता था.
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