फिल्म- वाह ताज!
स्टारकास्ट- श्रेयस तलपड़े, मंजरी फणनिस
निर्देशक- अजीत सिन्हा
रेटिंग- 1.5 स्टार
फिल्म का नाम और इसका ट्रेलर काफ़ी मज़ेदार था, लेकिन अफ़सोस कि ये हम फिल्म के बारे में नहीं कहा जा सकता. फिल्म बेहद ही बोरिंग है और इसके कॉमेडी सीन्स पर बिल्कुल हंसी नहीं आती है. यह एक अच्छी सटायर फिल्म हो सकती थी, लेकिन न ही कहानी ने और न ही फिल्म के किरदारों ने फिल्म में कोई इंपैक्ट छोड़ा. अक्सर रियल सबजेक्ट पर व्यंगात्मक फिल्म बनाना रिस्की साबित हो सकता है. ऐसा ही कुछ हुआ है वाह ताज के साथ भी.कहानी
सोचिए ताजमहल पर कब्ज़ा करने के लिए एक महाराष्ट्रियन कपल टैक्टर पर बैठ कर महाराष्ट्र से आगरा पहुंचता है. ये सुनने में जितना अजीब है, उतने ही अजीब तरीक़े से फिल्माया भी गया है. इस फिल्म की कहानी इंट्रेस्टिंग होने की बजाय बोरिंग हो गई है. फिल्म की कहानी में कुछ नयापन नहीं है. एक बिज़नेसमैन के किसानों से ज़मीन छीनने पर जब किसानों का नेता इसका विरोध करता है, तो उसकी हत्या करवा दी जाती है. उस किसान के भाई विवेक (श्रेयस तलपड़े) जो कि विदेश में पढ़ाई कर रहा है, जब उसे ये बात पता चलती है तो वह अपनी गर्लफ्रेंड रिया (मंजरी फणनिस) के साथ गांव आ जाता है और ज़मीन पाने के लिए एक खेल खेलता है. दोनों ताजमहल के कागज़ात जमा करते हैं और तुकाराम व सुनंदा बनकर ताजमहल पर दावा ठोक देते हैं. फिर कहानी कई मोड़ लेती है.कमज़ोर कड़ी
पूरी की पूरी फिल्म ही कमज़ोर है. श्रेयस और मंजरी की एक्टिंग ठीक ठाक है, लेकिन दूसरे कलाकारों की ओवरएक्टिंग आपको बोर करेगी. फिल्म में कोर्ट रूम का एक सीन दिखाया गया है, जिसमें जज और वकील के बीच हुई बहस आपको ज़रूर हंसाने में कामयाब होगी.फिल्म देखने जाएं या नहीं?
ये आप पर निर्भर करता है कि आपको क्या करना है. अगर दूसरी फिल्मों की टिकट्स नहीं मिल रही हैं और आपके पास वीकेंड पर करने को कुछ नहीं है, तो आप इस फिल्म को देखने जा सकते हैं. लेकिन अगर आपको अपने पैसे प्यारे हैं, तो इस फिल्म पर उसे बिल्कुल न खर्च करें.
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