टेक्नोलॉजी के दौर में लोगों में ई-बुक्स का क्रेज़ तेज़ी से बढ़ रहा है. आधुनिक तकनीक के जरिए पढ़ी जाने वाली ई-बुक्स ने जहां एक ओर हमारे जीवन को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इसकी वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। तो चलिए जानते हैं ई-बुक से होने वाले नुकसान के बारे में-
1. एक्सपर्ट्स के अनुसार मोबाइल, कंप्यूटर और टैबलेट के स्क्रीन पर रीडिंग करने से केवल मेंटल एनर्जी बढ़ती है. इसलिए रीडर्स को जानकारी प्राप्त करने और याद रखने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हाल ही में क्लासिकल वर्शन की ई-बुक्स को लेकर कुछ छात्रों पर एक सर्वेक्षण कराया गया था, जिसमें यह निष्कर्ष सामने आया कि जिन छात्रों ने क्लासिकल वर्शन की ई-बुक्स पढ़ी थीं, उनका प्रदर्शन शास्त्रीय संस्करणों को पढ़ने वाले बच्चों की तुलना में अच्छा नहीं था.
2. कहानियां और क्लासिक किताबें पढ़ते हुए भावुकता और मार्मिकता का एहसास होता है, जबकि ई-बुक्स में रीडर इस आनंद से वंचित रह जाता है. वेब पेज होने के कारण रीडर पढ़कर पेज खत्म कर देता है.
3. आईपैड, टैबलेट, लैपटॉप और मोबाइल पर रात के समय ई-बुक्स पढ़ने पर नींद पूरी नहीं होती है और सही ढंग से नींद भी नहीं आती है.
4. एक अधययन के अनुसार यह साबित हुआ है कि जो लोग नियमित रूप से देर रात तक ई-बुक्स पढ़ते हैं, उनके सोने के घंटे कम हो जाते हैं. उन्हें गहरी नींद कम आती है और अगली सुबह उनकी सजगता (चेतना) का स्तर कम रहता है.
5. रोज़ ई-बुक्स पढ़ने के बाद एकदम से नींद नहीं आती है, जिसकी वजह से रीडर के सोने के घंटों में कमी होती है. कई बार तो आंखें लाल हो जाती हैं या फिर उनमें सूजन आ जाती है.
6. लगातार ई-बुक्स पढ़ने के कारण दिमाग और शरीर को आराम नहीं मिल पता है, जिसका प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है और धीरे-धीरे डिमेंशिया होने का ख़तरा बढ़ सकता है.
7. ई-बुक्स पढ़ने पर याद तो रहती हैं, लेकिन ज़रूरत से ज़्यादा पढ़ने पर इसका बुरा असर धीरे-धीरे याददाश्त पर पड़ने लगता है.
बेशक ई-बुक्स के बहुत सारे फायदे हैं, लेकिन नुकसान भी कम नहीं हैं. टेक्नोलॉजी ने चाहे कितनी भी तरक्की क्यों नहीं कर ली है, लेकिन किताब की बात ही अलग है. अगर आप पढ़ने की शौक़ीन हैं, तो ई-बुक्स की बजाय किताबों के साथ वक्त बिताएं. यदि ई-बुक्स पढ़ऩा ज़रूरी हो तो पढ़ें ज़रूर, पर सोने से पहले नहीं.
- देवांश शर्मा