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बच्चों की शिकायतें… पैरेंट्स के बहाने… (5 Mistakes Which Parents Make With Their Children)  

अक्सर देखा गया है कि अभिभावकों को अपने बच्चों से ढेर सारी शिकायतें रहती हैं. उन्हें अक्सर कहते हुए देखा जाता है कि बच्चे उनका कहना नहीं मानते, बहुत ज़िद करते हैं, पढ़ाई नहीं करते, होमवर्क समय पर पूरा नहीं करते, खाना नहीं खाते आदि. लेकिन क्या आपने सोचा है कि पैरेंट्स से कई ज़्यादा शिकायतें बच्चों को भी उनसे रहती हैं, जिस पर अक्सर ध्यान ही नहीं दिया जाता. parenting mistakes सनी को अपने पापा से ढेर सारी कंप्लेन हैं. वे हमेशा उसे डांटते रहते हैं. उसके साथ खेलते नहीं, पड़ोसी के बेटे सागर से उसकी तुलना करते हैं कि सागर कितना अच्छा है, बड़ों का कहना मानता है, सब काम अच्छे से करता है... सनी यह सब सुनकर दुखी हो जाता है. वो पापा को बताना चाहता है कि वो उससे बेहतर करता है, पर पापा उस पर ध्यान दें तब ना. यह सनी ही नहीं उसके जैसे तमाम बच्चों की शिकायतें हैं, जिस पर पैरेंट्स ध्यान ही नहीं देते. वैसे देखा जाए, तो शिकायतें भी दो तरह की होती हैं, एक वो जो बच्चे लाड़ दिखाते हुए करते हैं और दूसरी वो जो गंभीरता से करते हैं, पर मम्मी-पापा उसे हल्के में लेते हैं. सायकोलॉजिस्ट परमिंदर निज्जर का कहना है कि ऐसा अक्सर होता है कि बच्चा अपनी भावनाओं व समस्याओं को माता-पिता से कहता है, पर वे बच्चा है समझकर उसकी कई बातों को अनदेखा कर देते हैं. सभी अभिभावकों को यह समझना चाहिए कि बच्चे मासूम व अति संवेदनशील होते हैं. यदि शुरू से ही उन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे ख़ुद को उपेक्षित महसूस कर गुमराह हो सकते हैं या फिर ग़लत रास्ता भी अख़्तियार कर सकते हैं. आइए, बच्चों की कुछ आम शिकायतों के बारे में जानते हैं. शिकायत नं. 1 मम्मी-पापा हमेशा पड़ोसी या कज़िन बच्चे से मेरी तुलना करते हैं... यह अधिकतर बच्चों की शिकायत होती है कि उनके पैरेंट्स अपने पड़ोस, रिश्तेदार या फिर उनके दोस्तों से उनकी तुलना करते हैं. पैरेंट्स के बहाने * हम उसके माता-पिता हैं, जो भी कहते हैं, बच्चे के भले के लिए कहते हैं. * अभी वो बच्चा है. उसे भला सही-ग़लत की क्या समझ. * हर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा स्मार्ट व ऑलराउंडर बने. पैरेंट्स गाइडलाइन * बच्चे यह कभी बर्दाश्त नहीं कर पाते कि उनकी तुलना अन्य बच्चों से की जाए, इसलिए यदि आप ऐसा करते हैं, तो इसे तुरंत बंद कर दें. * कोई और उदाहरण या फिर प्रेरक कहानियों द्वारा उन्हें पढ़ने-लिखने या फिर किसी भी चीज़ के लिए जो आप चाह रहे हैं, प्रोत्साहित करें. * बच्चे की आपसी तुलना उसे कमतर होने का एहसास कराती है. हो सकता है बच्चा ख़ुद को हानि पहुंचा ले. * इससे वो हीनभावना से भी ग्रस्त हो सकता है, अतः तुलना की बजाय सकारात्मक पहलुओं को देखते हुए धैर्य से काम लें. यह भी पढ़ेबढ़ते बच्चे बिगड़ते रिश्ते (How Parent-Child Relations Have Changed) शिकायत नं. 2 ना पापा के पास मेरे लिए टाइम है और न ही मम्मी मेरे साथ अधिक समय बिताती हैं... आज की भागदौड़भरी ज़िंदगी व महंगाई के चलते पति-पत्नी दोनों ही कामकाजी होते हैं, ख़ासकर महानगरों में. ऐसे में बच्चों के लिए अधिक समय वे नहीं निकाल पाते हैं. पैरेंट्स के बहाने * आख़िर हम बच्चे के लिए ही तो सब कर रहे हैं. * यदि पति-पत्नी दोनों ही नौकरी नहीं करेंगे, तो बच्चे को अच्छी पढ़ाई-लिखाई और अन्य सुविधाएं कैसे दे पाएंगे. * हमारी भी इच्छा होती है बच्चों के साथ व़क्त बिताने की, पर जॉब भी तो ज़रूरी है. पैरेंट्स गाइडलाइन * घर और ऑफिस को टाइम मैनेजमेंट के साथ मैनेज किया जा सकता है. * अपने बच्चों को क्वांटिटी नहीं क्वालिटी टाइम दें. * सोशल मीडिया, टीवी, चैटिंग या फिर अपनी शॉपिंग आदि में कटौती करके बच्चों को अधिक समय दें. * वीकेंड में बच्चों के साथ भरपूर समय बिताएं और कहीं घूमने-फिरने, पिकनिक मनाने, मूवी देखने या फिर डिनर के लिए होटल भी जा सकते हैं. शिकायत नं. 3 मॉम-डैड अपनी बात पर टिके नहीं रहते, अक्सर प्रॉमिस तोड़ देते हैं... बच्चों को सबसे अधिक अपेक्षा और आशा अपने मम्मी-पापा से ही होती है. उन्हें यह विश्‍वास होता है कि उनकी हर मांग को वे ज़रूर पूरा करेंगे, जो कई बार होता नहीं है. पैरेंट्स के बहाने * पैरेंट्स के अनुसार, अक्सर बच्चों की ज़िद को टालने के लिए किसी बात का वादा कर देते हैं, पर वो हम करें, यह ज़रूरी नहीं है. * हमारी ज़िंदगी कितनी तनावग्रस्त है, भला बच्चे कैसे समझ पाएंगे, उन्हें तो बस फ़िज़ूल की डिमांड करनी होती है. * ऑफिस से थककर आने के बाद बच्चा यह चाहे कि पैरेंट्स उसे बाहर ले जाएं, तो अक्सर बाद में ले जाएंगे की प्रॉमिस कर देते हैं. पैरेंट्स गाइडलाइन * यदि आप बच्चे की कोई मांग पूरी नहीं कर सकते, तो उसे बाद में करने की हामी न भरें. * झूठे आश्‍वासन या वादे न करें. वो ही बात कहें, जो आप पूरा कर सकते हैं. * बचपन से ही बच्चे में यह भावना विकसित करें कि जो मुनासिब होगा और सार्मथ्य में होगा, उसे किया जाएगा. * बच्चों का अपने पैरेंट्स पर अटूट विश्‍वास होता है. आपके बार-बार प्रॉमिस तोड़ने से न केवल उनका दिल टूटता है, बल्कि विश्‍वास भी चकनाचूर होता है. यह भी पढ़ेदबाव नहीं, प्रेरणा ज़रूरी (Don’t Pressurize, Rather Encourage Your Children) शिकायत नं. 4 पैरेंट्स अक्सर दोस्तों के सामने बेइज्ज़ती कर देते हैं, हाथ तक उठा देते हैं... ऐसा अक्सर देखा गया है कि अभिभावकों की नज़र में बच्चे का मान-सम्मान या सेल्फ रिस्पेक्ट कोई मायने नहीं रखता. वे बच्चों पर अपना इतना अधिकार समझते हैं कि वे कुछ भी कर सकते हैं पैरेंट्स के बहाने * बच्चा ग़लती करेगा, तो डांट-फटकार, मार खाएगा ही. * यदि अभी उनके साथ सख़्ती से पेश नहीं आएंगे, तो आगे चलकर बात बिगड़ सकती है. * हमें ख़ुद थोड़ी अच्छा लगता है बच्चे को मारना, पर क्या करें. वो हरकतें ही ऐसे करते हैं कि हाथ उठ जाता है. पैरेंट्स गाइडलाइन * जैसे बड़े अपने मान-सम्मान के प्रति सचेत रहते हैं, वैसे ही बच्चों को भी अपने सेल्फ रिस्पेक्ट का ख़ूब ख़्याल रहता है, ख़ासकर उनके दोस्तों के सामने. इसलिए उनके सामने बच्चे को कभी भी डांटें-फटकारें नहीं. * बच्चे की ग़लतियों के पीछे की वजह या फिर उस सिचुएशन को समझने की कोशिश करें. * बच्चे को भरपूर प्यार के साथ सम्मान भी दें. इससे उन्हें दुगुनी ख़ुशी मिलेगी और वे आपकी हर बात मानेंगे. * यदि बचपन से ही बच्चों की छोटी-बड़ी हर बात को गंभीरता से समझा जाए और सही तरी़के से ट्रीट किया जाए, तो यह समस्या आएगी ही नहीं. शिकायत नं. 5 मां-पिताजी छोटे भाई-बहन को उससे अधिक प्यार करते हैं... यह घर-घर की कहानी है यानी अधिकतर घरों में देखा गया है कि बड़े बच्चे को लगता है कि माता-पिता उनकी अपेक्षा छोटे भाई या फिर बहन को अधिक प्यार-स्नेह करते हैं. इसका बड़े बच्चे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. पैरेंट्स के बहाने * वो अब बड़ा हो गया है, उसे इस बात को समझना चाहिए कि छोटे को देखभाल की अधिक ज़रूरत है. * हमारे लिए सभी बच्चे बराबर है, पर छोटे बच्चे का अधिक ध्यान रखना भी तो ज़रूरी है. * जब बड़ा बच्चा छोटा था, तब उसकी भी हर छोटी-बड़ी बात को मान लेते थे और उसका भी भरपूर ख़्याल रखते थे. पैरेंट्स गाइडलाइन * बच्चे छोटे-बड़े नहीं, बल्कि मासूम और नादान होते हैं, इसलिए उन्हें सावधानी से हैंडल करना चाहिए. * कहीं न कहीं भेदभाव करके या आप अपने व्यवहार से बच्चों के बीच ही प्रतिस्पर्धा पैदा कर देते हैं. * आपके ग़लत ट्रीटमेंट के कारण बड़ा बच्चा अपने छोटे भाई या फिर बहन को अपना दुश्मन समझने लगता है, इसलिए ऐसा न करें. * सभी बच्चों को एक समान प्यार-स्नेह और अपनापन दें. आपका सही व उचित व्यवहार ही बच्चे के योग्य बनने की नींव रखेगा.

- ऊषा गुप्ता

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