- लॉकर लेने के लिए आपका उस बैंक में खाता होना ज़रूरी है, ताकि समय-समय पर बैंक आपके खाते में से चार्ज लेता रहे.
- अगर लॉकर खाली नहीं है, तो बैंक लॉकर के अलॉटमेंट के लिए वेटिंग लिस्ट तैयार करता है और आपको वेटिंग नंबर जारी करता है.
- बैंक में उपलब्ध कुल लॉकर्स में से 80 फ़ीसदी को पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर अलॉट किया जाता है. बाकी को बैंक मैनेजर अपने विशेषाधिकार से कुछ विशेष खाता धारकों को उनके खाते की परफॉर्मेंस के आधार पर अलॉट कर सकता है.
- लॉकर अलॉट करने के नाम पर बैंक फिक्स्ड डिपॉज़िट की मांग नहीं कर सकता है, लेकिन वे लॉकर के तीन साल के किराए और लॉकर तोड़ने के चार्ज के बराबर डिपॉज़िट करा सकता है.
- लॉकर की सुविधा देते समय बैंक ग्राहक के साथ एक एग्रीमेंट करता है. इस एग्रीमेंट की अटेस्ट कॉपी आप बैंक से ज़रूर हासिल करें. भविष्य में बैंक के साथ कोई भी विवाद होने पर यह आपके काम आ सकती है.
- अलॉट किए गए लॉकर्स की सुरक्षा का ज़िम्मा बैंक का होता है.
- लॉकर्स की सभी चाबियों पर बैंक या ब्रांच का कोड नंबर छपा होना चाहिए. अगर बैंक का प्रतिनिधि आपसे लॉकर की चाबी मांगे, तो भी उसे कभी चाबी न दें. अपनी उपस्थिति में ही चाबी पर बैंक या ब्रांच का कोड डलवाएं.
- बैंक हर साल लॉकर का किराया एडवांस में वसूलता है.
यह भी पढ़ें: क्या आप में है बैंक संबंधी अच्छी आदतें?
- अगर आपने एक साल तक अपना लॉकर ऑपरेट नहीं किया है, तो बैंक आपसे इसका कारण जान सकता है. अगर बैंक आपके जवाब से संतुष्ट नहीं हैं, तो उसे आपके लॉकर का अलॉटमेंट रद्द करने व लॉकर खोलने का अधिकार है. भले ही आप लॉकर का किराया समय पर दे रहे हों.
- सभी खाताधारकों के लिए ज़रूरी है कि वे लॉकर की सुविधा लेते वक़्त नॉमिनेशन ज़रूर करें. एक बार नॉमिनी बनाए जाने के बाद भी आप अपना नॉमिनी बदल सकते हैं. खाताधारक की मौत हो जाने पर नॉमिनी को खाताधारक का मृत्यु प्रमाण पत्र व अपना पहचान पत्र उपलब्ध कराने पर लॉकर ऑपरेट करने का अधिकार मिल जाता है.
- संयुक्त रूप से लॉकर लिए जाने की स्थिति में अगर एक खाता धारक की मृत्यु हो जाती है, तो बैंक उसके नॉमिनी व दूसरे लॉकर धारक को संयुक्त रूप से लॉकर ऑपरेट करने का अधिकार दे सकता है.
- लॉकर धारक की मौत हो जाने पर उसके उत्तराधिकारी को लॉकर का सामान सौंपते वक़्त अगर लॉकर से कोई बंद लिफ़ाफ़ा मिलता है, तो बैंक अधिकारी को उसे खोलकर देखने का अधिकार नहीं है.
- जब आप लॉकर ऑपरेट कर रहे हों, उस वक़्त लॉकर रूम में कोई दूसरा शख़्स नहीं होना चाहिए. चाहे वह बैंक अधिकारी या कोई और लॉकर धारक ही क्यों न हो.
- सभी बैंकों में शिकायत पुस्तिका होती है. किसी तरह की शिकायत होने पर इसमें एंट्री ज़रूर करें.
- लॉकर व्यक्तिगत, संयुक्त, कंपनी या संगठन के नाम पर लिया जा सकता है. लॉकर कम से कम एक साल के लिए दिया जाता है. बैंक लॉकर के लिए अप्लाई करते वक़्त बैंक की गाइडलाइंस ज़रूर पढ़ें.
- बैंक की ज़िम्मेदारी है कि वह आवेदन करनेवाले को नॉमिनेशन सुविधा के फ़ायदे ज़रूर बताए.
- किसी बच्चे को भी नॉमिनी बनाया जा सकता है, लेकिन क्लेम के समय नॉमिनी के बच्चा (माइनर) होने की स्थिति में क्लेम उसके पैरेंट्स को दिया जाता है.
- अगर आपने लॉकर का किराया नहीं दिया है और आप बैंक द्वारा नोटिस दिए जाने पर भी बैंक से संपर्क नहीं करते हैं, तो बैंक को आपके लॉकर को तोड़ने का अधिकार है. इसका सर्विस चार्ज भी आपसे ही लिया जाएगा.
- लॉकर को बैंक अधिकारी व ग्राहक दोनों के पास मौजूद चाबी से खोला जा सकता है, जबकि बंद स़िर्फ ग्राहक की चाबी से ही किया जा सकता है.
- लॉकर ऑपरेट करने के बाद बैंक अधिकारी को लॉक चेक करने को कहें. बैंक अधिकारी की ड्यूटी होती है कि लॉकर ऑपरेट किए जाने के बाद वह लॉकर के लॉक को चेक करें.
- अतिरिक्त सुरक्षा के लिए आप अपने बैंक लॉकर पर एक और लॉक लगा सकते हैं.
यह भी पढ़ें: जानें बैंकिंग के स्मार्ट ऑप्शन्स
[amazon_link asins='B01KNXBL1K,B01IHNKZ92,B073H829W2,B01KTFQOL4' template='ProductCarousel' store='pbc02-21' marketplace='IN' link_id='60148dc1-fb4e-11e7-82cd-6956372abbf7']
Link Copied