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15 इन्वेस्टमेंट ऑप्शन्स महिलाओं के लिए (15 Investment options for women)

Investment options african-american-woman-investing-finances रिटर्न्स तो हर इन्वेस्टमेंट से मिलते हैं, लेकिन हमारे लिए क्या सही है, ये जानने के लिए ज़रूरी है इन्वेस्टमेंट ऑप्शन्स को जानना. मीनाक्षी ओस्तवाल बता रही हैं महिलाओं के लिए इन्वेस्टमेंट के 15 ऑप्शन्स, ताकि आप चुन सकें अपने लिए निवेश का सही विकल्प. निवेश करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ होती है निवेशक की रिस्क कैपेसिटी यानी निवेशक कितना रिस्क ले सकता है, क्योंकि इसी पर काफ़ी हद तक रिटर्न्स निर्भर होते हैं. तो आइए, इन्वेस्टमेंट के विकल्पों को लो रिस्क और हाई रिस्क के अनुसार वर्गीकृत करके जानते हैं. (Investment Options) लो रिस्क लो रिटर्न इन्वेस्टमेंट्स लो रिस्क वाले इन्वेस्टमेंट ज़्यादातर गवर्नमेंट बॉन्ड या पोस्ट ऑफ़िस इन्वेस्टमेंट होते हैं. इनमें रिस्क काफ़ी कम होता है और साथ ही रिटर्न्स भी. यदि आप सेफ़र साइड रहकर रिटर्न से ज़्यादा फ़्यूचर के लिए जमा करने में यक़ीन रखती हैं, तो ये इन्वेस्टमेंट ऑप्शन्स आपके लिए बेहतर साबित होंगे. पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ़) पीपीएफ़ 15 वर्ष के एन्युटी टर्म (मैच्योरिटी पीरियड) के साथ होता है. इसमें आप प्रति वर्ष न्यूनतम 500 रु. तथा अधिकतम 70,000 रु. तक इन्वेस्ट कर सकती हैं. 70,000 रु. से अधिक निवेश करने पर एक्स्ट्रा राशि बिना किसी ब्याज के लौटा दी जाती है. पीपीएफ़ में निवेश करने पर डबल टैक्स बेनिफ़िट मिलता है. इस पर मिलने वाला 8% वार्षिक ब्याज तो टैक्स फ्री है ही, इसके अलावा इसमें जमा की गई राशि पर आप सेक्शन 80 ङ्गसीफ के तहत डिडक्शन (छूट) भी क्लेम कर सकती हैं. इसके अलावा आप पीपीएफ़ में जमा की गई राशि पर लोन भी ले सकती हैं. सातवें वर्ष की शुरुआत से 50% तक राशि विदड्रॉ भी करवा सकती हैं. मगर ये विदड्रॉवल आप साल में केवल एक बार ही कर सकती हैं. भविष्य निर्माण बॉन्ड्स भविष्य निर्माण बॉन्ड्स 10 साल के ज़ीरो कूपन बॉन्ड्स होते हैं. ज़ीरो कूपन बॉन्ड्स यानी इन बॉन्ड्स पर आपको कोई इन्ट्रेस्ट नहीं मिलता. ज़ीरो कूपन बॉन्ड्स कम क़ीमत पर इश्यु करके ज़्यादा क़ीमत पर रिडीम किए जाते हैं. उदाहरण के तौर पर, यदि कोई बॉन्ड 9000 रु. में इश्यु करके 20,000 रु. में रिडीम होता है तो निवेशक को 11000 रु. का फ़ायदा होता है यानी 8.31% का रिटर्न. भविष्य निर्माण बॉन्ड की इश्यु प्राइज़ (जारी करने की क़ीमत) नाबार्ड (नेशनल बैंक फ़ॉर एग्रीकल्चरल एंड रूरल डेवलपमेंट) द्वारा पब्लिश की जाती है. चूंकि ज़ीरो कूपन बॉन्ड्स पर कोई इंट्रेस्ट नहीं मिलता, अतः इस पर टैक्स भी नहीं लगता, किंतु इसके रिडम्शन प्राइज़ पर होने वाले प्रॉफ़िट पर कैपिटल गेन टैक्स पे करना पड़ता है. यह टैक्स अमाउंट इंडेक्शन बेनिफ़िट्स के बाद हुए कैपिटल गेन का 20% होता है. नेशनल सेविंग सर्टिफ़िकेट (एनएससी) एनएससी ही एक मात्र ऐसा इन्वेस्टमेंट है, जिसमें आप को निवेश के साथ-साथ ब्याज पर भी 5 साल तक डिडक्शन मिलता है. एनएससी की कालावधि 6 वर्ष की होती है. इसमें 8% प्रति वर्ष की दर से ब्याज मिलता है. एनएससी को गिरवी रख कर आप इस पर लोन भी ले सकती हैं. एनएससी अब डीमेट फ़ॉर्मेट में भी उपलब्ध है. सीनियर सिटिज़न सेविंग स्कीम  यदि आप की उम्र 60 वर्ष या उससे अधिक है तो आप सीनियर सिटिज़न सेविंग स्कीम में इन्वेस्ट कर सकती हैं. इसका इन्ट्रेस्ट रेट (ब्याज दर) 9% प्रति वर्ष होता है. आप इसमें कम-से-कम 1000 रु. या 1000 रु. के मल्टीपल्स (गुणांक) में इन्वेस्ट कर सकती हैं. इसमें कोई टैक्स बेनिफ़िट नहीं मिलता. यदि इस पर मिलने वाले ब्याज की रकम सालाना 10,000 रु. या अधिक होती ़़है तो इस पर 10.30% की दर से टीडीएस भी कटता है. वीआरएस सिस्टम के तहत रिटायर हुए लोगों के लिए इस स्कीम में इन्वेस्ट करने के लिए न्यूनतम उम्र 60 वर्ष नहीं, बल्कि 55 वर्ष है. जबकि रिटायर्ड ड़िफेंस सर्विस ऑफ़िसर्स के लिए कोई एज लिमिट नहीं है. किसान विकास पत्र (केवीपी) मैच्योरिटी पर किसान विकास पत्र की रकम दोगुनी हो जाती है. पहले केवीपी का मैच्योरिटी पीरियड 7 वर्ष 8 महीने था, पर मार्च 2003 में इसे बढ़ाकर 8 वर्ष 7 महीने कर दिया गया यानी मार्च 2003 से ख़रीदे गए केवीपी को मैच्योरिटी के लिए 8 वर्ष 7 महीने तक होल्ड करना होगा. आरबीआई टैक्सेबल सेविंग बॉन्ड्स आरबीआई टैक्सेबल सेविंग बॉन्ड्स नॉन-सीनियर सिट़िज़न्स के बीच बहुत पॉप्युलर है. इसका इन्ट्रेस्ट रेट 8% है. ये बॉन्ड्स 4 साल के लिए होते हैं. इसमें आप कम-से-कम 1000 रु. या 1000 रु. के मल्टीपल्स में अनलिमिटेड इन्वेस्ट कर सकती हैं. ये बॉन्ड्स स्टॉक सर्टिफ़िकेट के रूप में इश्यु किए जाते हैं. यदि आप चाहें तो इनका क्रेडिट बॉन्ड लेज़र अकाउंट यानी बीएलए में भी ले सकती हैं. बीएलए में स्टॉक सर्टिफ़िकेट के बजाय अकाउंट स्टेटमेंट इश्यु किए जाते हैं. यदि इस पर मिलने वाले ब्याज की रकम सालाना 10,000 रु. या इससे अधिक होती है तो इस पर 10.30% की दर से टीडीएस भी कटता है. ये बॉन्ड्स डीमेट अकाउंट में भी रख सकती हैं. इन्हें ट्रान्सफ़र या गिरवी नहीं रखा जा सकता और न ही किसी को ग़िफ़्ट में दिया जा सकता है. बैंक डिपॉज़िट्स बैंक डिपॉज़िट इन्वेस्टमेंट का एक अच्छा और सेफ़ ऑप्शन है. आप बैंक एफ़डी या आरडी में इन्वेस्ट कर सकती हैं. अपने इन्वेस्टमेंट की कालावधि अपनी सहूलियत के अनुसार तय कर सकती हैं. एफ़डी और आरडी का इन्ट्रेस्ट रेट सालाना 8 से 10.5 % तक होता हैं. अलग-अलग बैंकों का इन्ट्रेस्ट रेट अलग-अलग होता है. हालांकि यदि इस पर मिलने वाले ब्याज की रकम सालाना 10,000 रु. या इससे अधिक होती है तो इस पर 10.30% की दर से टीडीएस भी कटता है और साथ ही बैंक डिपॉज़िट्स में टैक्स बेनिफ़िट्स नहीं मिलते, पर पांच वर्ष से अधिक कालावधि की एफ़डी में निवेश करने से आप इन्वेस्टमेंट अमाउंट पर डिडक्शन क्लेम कर सकती हैं. पोस्ट ऑफ़िस मंथली इनकम स्कीम (एमआईएस) पोस्ट ऑफ़िस मंथली इनकम स्कीम में आप अपनी सुविधा के अनुसार हर महीने एक फ़िक्स अमाउंट जमा कर सकती हैं. इस पर 8% प्रति वर्ष की दर से ब्याज मिलता है. आप इसमें न्यूनतम 1000 रु. से लेकर अधिकतम 3 लाख तक इन्वेस्ट कर सकती हैं. ज्वॉइंट अकाउंट की दशा में लिमिट 6 लाख तक होती है. एमआईएस अकाउंट ओपन करने के एक साल बाद आप इसे मैच्योरिटी पीरियड से पहले ही विदड्रा करवा सकती हैं. हाई रिस्क हाई रिटर्न इन्वेस्टमेंट्स यदि आप अपने निवेश पर ज़्यादा रिटर्न चाहती हैं तो थोड़ा रिस्क भी लेना चाहिए. आइए, नज़र हालते हैं हाई रिस्क हाई रिटर्न वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शन्स पर. शेयर्स शेयर यानी स्टॉक मार्केट में निवेश करने से जितने अच्छे रिटर्न मिलते हैं यह उतना ही रिस्की भी है. किंतु यदि आप हाई रिस्क लेने में यक़ीन रखती हैं तो स्टॉक मार्केट फटाफट पैसा कमाने का अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है. इसके लिए किसी भी कंपनी के शेयर्स ख़रीदते समय केवल ब्रोकर पर भरोसा न करके अपनी तरफ़ से कंपनी का पास्ट परफ़ॉर्मेंस ज़रूर चेक कर लें. साथ ही शेयर को लॉन्ग टर्म तक होल्ड करने की आदत डालें, क्योंकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यानी एक साल से ज़्यादा समय तक होल्ड करने पर होने वाला प्रॉफ़िट टैक्स फ्री है, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 10% टैक्स लगता है. म्यूचुअल फंड यदि स्टॉक मार्केट पर नज़र बनाए रखना आपके लिए संभव न हो, तो म्यूचुअल ़फंड्स आपके लिए बेस्ट ऑप्शन है. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा मार्केट एक्सपर्ट की निगरानी में स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट किया जाता है. इस निवेश पर होनेवाले प्रॉफ़िट में से म्यूचुअल फंड प्रदाता कंपनी अपने चार्जेज़ काट कर बाक़ी रकम आपके अकाउंट में जमा कर देती है. म्यूचुअल फंड्स की कई अलग-अलग स्कीम्स मार्केट में उपलब्ध हैं, जैसे- डेब्ट फंड्स, इक्विटी फंड्स, बैलेंड्स फंड्स आदि. म्यूचुअल फंड में होने वाला लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 10% टैक्स पे करना होता है. इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्यूचुअल फंड्स का ही एक प्रकार है. यह 3 वर्ष के लॉक इन पीरियड के साथ होता है. इसमें अच्छे रिटर्न मिलते हैं, क्योंकि इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में 80% तक इक्विटी मार्केट में इन्वेस्ट किया जाता है. यह इन्वेस्टमेंट ऑप्शन टैक्स प्लानिंग के लिए बेस्ट माना जाता है, क्योंकि इस इन्वेस्टमेंट में सेक्शन 80 C के तहत डिडक्शन मिलता है. 3 वर्ष के लॉक इन पीरियड के कारण लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होता है, जो कि टैक्स फ्री होता है. गोल्ड यदि गोल्ड में इन्वेस्ट करना चाहती हैं, तो गहनों के बजाय गोल्ड कॉइन्स, बार्स और गोल्ड बुलियन्स ख़रीदें. गोल्ड कॉइन्स या बार ख़रीदते समय यह ज़रूर ध्यान रखिए कि इन पर हॉलमार्क लगा हो. गोल्ड रेप्युटेड ज्वेलर्स या बैंक से ही ख़रीदें. गोल्ड में इन्वेस्ट करने के लिए गोल्ड ख़रीदने के बजाय आप गोल्ड ट्रेडेड फंड या गोल्ड म्यूचुअल फंड्स में भी निवेश कर सकती हैं. गोल्ड में हुए कैपिटल गेन पर शॉर्ट टर्म यानी 3 साल से कम पर 10 प्रतिशत और लॉन्ग टर्म यानी 3 साल से ज़्यादा पर 20 प्रतिशत टैक्स लगता है. प्रॉपर्टी ज़मीन की क़ीमतों में हो रही लगातार बढ़ोतरी के मद्देनज़र प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट आजकल काफ़ी पॉप्युलर हो रहा है. इसमें आपको टैक्स बेनिफ़िट्स भी मिलता है. उदाहरण के लिए यदि आप कोई घर ख़रीदती हैं तो उस घर पर अदा की गई स्टैम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्जेज़ को डिडक्शन के रूप में क्लेम कर सकती हैं. प्रॉपर्टी इन्वेस्टमेंट पर होने वाले कैपिटल गेन पर लॉन्ग टर्म में 20% और शॉर्ट टर्म में 10% टैक्स पे करना पड़ता है. प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करते समय प्रॉपर्टी के लोकेशन का अच्छे से मुआयना कर लें. यूलिप यूलिप में हाई रिटर्न्स के साथ-साथ लाइफ़ कवर भी मिलता है. यूलिप का मैच्योरिटी टर्म 10 से 15 वर्ष का होता है. इसमें आप प्रति वर्ष न्यूनतम 15000 रु. और अधिकतम 5 लाख रु. तक इन्वेस्ट कर सकती हैं. साथ ही इन्वेस्टमेंट अमाउंट पर डिडक्शन भी क्लेम कर सकती हैं. यूलिप में आप अपनी सहूलियत के मुताबिक़ इंस्टॉलमेंट में भी इन्वेस्ट कर सकती हैं, पर पैसे विदड्रॉ करवाने के लिए कम-से-कम 7 साल का इंतज़ार करना होता है. यूलिप में निवेश की गई राशि का 60% हिस्सा गवर्नमेंट डिपॉज़िट्स और 40% हिस्सा स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट होता है. यानी शेयर्स और इक्विटी ओरियंटेड म्यूचुअल ़फंड्स के मुक़ाबले ये कम रिस्की होते हैं. डेरिवेटिव्स निवेश करने के लिए डेरिवेटिव्स यानी कोमोडिटी मार्केट एक अच्छा विकल्प है. शेयर्स की तरह इन्हें भी आप ओपन मार्केट में ख़रीद-बेच सकती हैं. इनका डिलिवरी पीरियड एक महीना होता है. यानी ख़रीदने के एक महीने के अंदर आपको इन्हें क़ीमतें बढ़ने पर बेचना होता है. चूंकि ये कोमोडिटीज़ कई किलो और टन में होती हैं, अतः इनकी फ़िज़िकल डिलिवरी लेना संभव नहीं होता है. अतः इनके ट्रांजेक्शन को डीमेट अकाउंट में रखा जाता है.
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