करियर के शिखर पर पहुंचकर फ़िल्म इंडस्ट्री से किनारा करके पूरी तरह से शादीशुदा ज़िंदगी में रम जाना आसान काम नहीं… लेकिन टैलेंट को बहुत समय तक दबाकर भी नहीं रखा जा सकता… अदाकारी की यही भूख शायद धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित को अमेरिका से इंडिया ले आई. आइए, हम आपको बताते हैं धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित की ज़िंदगी से जुड़ी 10 बातें, जिन्हे आप शायद नहीं जानते होंगे.
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1) क्या आपको लगता है कि समय के साथ बॉलीवुड में भी कॉम्पटीशन बहुत बढ़ गया है?
हम सभी बेस्ट काम करने की कोशिश करते हैं, कॉम्पटीशन या कम्पेरिज़न तो मीडिया क्रिएट करता है, लेकिन असली जज दर्शक हैं. उन्हें काम पसंद आ गया, तो हमारी मेहनत सफल हो जाती है.
2) जब आप अमेरिका से इंडिया आईं, तो क्या आपके बच्चे यहां पर आसानी से सेट हो गए थे?
अमेरिका से भारत शिफ़्ट होने में मेरे बच्चों को कोई ख़ास तकलीफ़ नहीं हुई. वो पहले भी कई बार मेरे साथ इंडिया आ चुके थे इसलिए यहां रहना उनके लिए कोई नया अनुभव नहीं था. हां, वो यहां ज़्यादा नहीं रहे थे, इसलिए उन्हें सेट होने में थोड़ा वक़्त लगा, लेकिन बहुत जल्दी ही यहां पर उनके कई दोस्त बन गए थे, इसलिए उन्हें यहां अच्छा लगने लगा था.
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3) जब आप लंबे समय के बाद अमेरिका से एक बार फिर मुंबई में रहने आईं, तो आपको यहां पर क्या बदलाव देखने को मिला?
मैं मुंबई में पली-बढ़ी हूं इसलिए यहां रहना मुझे बहुत अच्छा लगता है. हां, जब मैं अमेरिका से मुंबई में रहने आई, तो मुंबई में काफ़ी कुछ बदलाव दिखे- बहुत सारे मॉल्स खुल गए थे, स्काई वॉक, फ्लाईओवर बन गए थे, लोग ज़्यादा बढ़ गए थे… शादी के बाद भी मैं अक्सर मुंबई आती रहती थी, लेकिन जब यहां सैटल होने आई, तो मुंबई को ठीक से देखने का मौक़ा मिला और मुंबई में आये बदलाव भी देखने को मिले.
4) बच्चों की परवरिश में आप किन बातों को जरूरी मानती हैं?
मैं बच्चों को अच्छे संस्कार देना बहुत जरूरी मानती हूं. मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चों की परवरिश भी उसी तरह हो, जिस तरह मेरी हुई है. मेरे बच्चे जिस तरह अपने दादा-दादी के साथ रहते हैं, मेरे फादर के साथ चेस खेलते हैं, मेरी मां उन्हें अलग-अलग श्लोक सिखाती है… ये सब देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है. हां, ये अलग बात है कि मेरी परवरिश बहुत ही मिडल क्लास माहौल में हुई, लेकिन मेरे बच्चों के पास आज हर तरह की लग्ज़री मौजूद है. ऐसे में कई बार बच्चों को सही वैल्यूज़ सिखाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, लेकिन मैं अपनी तरफ़ से उन्हें अच्छे संस्कार देने की पूरी कोशिश करती हूं. मेरे ख़्याल से पैरेंट्स को अपने बच्चों के साथ ख़ूब बातें करनी चाहिए, ताकि आप जान सकें कि आपका बच्चा क्या सोचता है, क्या जानना चाहता है.
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5) क्या आज के बच्चों की परवरिश पहले के मुकाबले चैलेंजिंग होती जा रही है?
हां, आज के इंटरनेट के ज़ामने में जहां बच्चे हर तरह की जानकारी हासिल कर सकते हैं, ऐसे में पैरेंट्स को बहुत सतर्क रहना पड़ता है. देखना पड़ता है कि बच्चे क्या देख रहे हैं, कहां जा रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि बच्चों पर हर वक़्त नज़र रखना भी ठीक नहीं. यदि हमने अपने बच्चों को सही संस्कार दिए हैं, तो वे ग़लत रास्ते पर नहीं जाएंगे. हम अपने बच्चों को पूरी छूट देते हैं, लेकिन मनमानी नहीं करने देते. बच्चों के साथ सिच्युएशन के हिसाब से डील करना ज़रूरी हो जाता है. अगर आप अपने बच्चों के क़रीब हैं, तो वो आपसे अपने मन की हर बात कह देते हैं. मेरे बच्चे भी मेरे साथ हर तरह की बातें शेयर करते हैं, उन्हें मुझसे कोई भी बात कहने में हिचक नहीं महसूस होती. इसी तरह मेरे बच्चे जब मुझसे कुछ पूछते हैं और मुझे उस बात की जानकारी नहीं होती, तो मैं इंटरनेट सर्फ करके जानकारी हासिल करती हूं और उनकी जिज्ञासा शांत करती हूं.
6) क्या आप प्लानिंग में विश्वास करती हैं?
अपने सपनों को पूरा करने के लिए हम हमेशा कल के बारे में ही सोचते रहते हैं कि ये करना है, वो करना है और इसी भागदौड़ में हम अपना आज भूल जाते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि आज में जीना भी ज़रूरी है. हमें अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कोशिश करनी चाहिए, लेकिन ऐसा करते हुए अपने आसपास के लोगों की भावनाओं, नैतिक मूल्यों को भी नहीं भूलना चाहिए. मैंने भी अपनी लाइफ़ को कुछ इसी तरह जिया है. मेरे भी कुछ सपने थे, कुछ लक्ष्य थे, लेकिन उन्हें पाने की कोशिश में मैंने इस बात का हमेशा ध्यान रखा कि पैरेंट्स, परिवार या आसपास के लोगों का दिल न दुखाऊं.
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7) आपकी नज़र में बेस्ट लाइफ पार्टनर कैसा होना चाहिए?
ज़्यादातर माता-पिता अपनी बेटी की शादी तय करते समय यही देखते हैं कि लड़का दिखने में अच्छा है, पढ़ा-लिखा है, अच्छी कमाई कर लेता है, तो वो बेटी के लिए सही जीवनसाथी साबित होगा. इसके साथ ही ये देखना भी ज़रूरी है कि उसकी फैमिली कैसी है, उसे कैसे संस्कार मिले हैं, उसका व्यवहार कैसा है? तभी आप अपनी बेटी के लिए सही जीवनसाथी चुन सकते हैं.
8) आपके परिवार की कौन सी बात आपको सबसे ख़ास लगती है?
मेरे परिवार की ख़ास बात ये है कि हम छोटी-छोटी ख़ुशियों को एंजॉय करते हैं और हमें साथ मिलकर वक़्त गुज़ारना अच्छा लगता है.
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9) आपकी नज़र में क़ामयाबी क्या है?
मैं क़ामयाबी को ख़ुशी से जोड़कर देखती हूं. अगर मैं ख़ुश हूं तो मैं क़ामयाब हूं. मैं जितनी ज़्यादा ख़ुश हूं, उतनी ज़्यादा सक्सेसफुल हूं.
10) आपकी ख़ूबसूरती का राज़ क्या है?
लोग मुझे इतना प्यार करते हैं इसलिए उन्हें मैं ख़ूबसूरत लगती हूं. दर्शकों का प्यार ही मेरी ख़ूबसूरती का राज़ है.
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