एक कहावत है ना कि एक चुप सौ को हराता है. ये बात बिल्कुल सही है. वैसे ग़ुस्सा करना भी एक तरह का इमोशन ही है और अगर उससे डील करना आ गया, तो मानो सब आ गया. इसलिए अगर आपका पार्टनर भी हर वक़्त चिड़-च़िड़ करता रहता है. छोटी-छोटी बातों पर ग़ुस्सा हो जाता है, तो आप क्यूं अपना मूड ख़राब करते हैं. आप रिलैक्स रहें और उनके ग़ुस्से के साथ डील करना सीख जाएं और अपने रिलेशनशिप को बेहतर बनाए. सिर्फ़ ख़ूबियों के साथ ही नहीं, बल्कि अपने पार्टनर की खामियों यानी उनके ग़ुस्से के साथ भी निभा जाएं. आइए जानें कैसे.
दिल पे मत ले यार
पार्टनर द्वारा ग़ुस्से में कही गई हर बात को दिल पर लेना कोई समझदारी नहीं है. अब तक तो आपको उनका नेचर पता चल गया होगा. वे दिल के बुरे नहीं हैं, बस ओवर रिएक्ट करने की आदत है उनकी. अब इसके साथ थोड़ा आप ही एडजस्ट कर लें. जब आप रिएक्ट करना छोड़ देंगी, तो फिर वे क्या दीवारों से लड़ेंगे. उनकी कही हर बात को दिल से न लगाएं, बल्कि जान लें कि आपका साजन थोड़ा पगला है, थोड़ा नासमझ है. अब दें एक प्यारी सी स्माइल.
अपनी ग़लती ना छिपाएं
अब ऐसा भी नहीं है कि हमेशा ग़लती पार्टनर की ही हो. माना वह अपने ग़ुस्से के लिए बदनाम हैं, लेकिन उसकी आड़ में आप भी अपनी ग़लतियां ना छिपाएं. अगर आपकी ग़लती है, तो आप भी उसे मानें. अपनी बात को सही साबित करने के चक्कर में उनका ग़ुस्सा न बढ़ाएं. अगर लगता है अपनी ग़लती है, तो क्या फ़र्क़ पड़ता है. सॉरी बोलो और बात ख़त्म करो. हो सकता है आपको सॉरी बोलते देख पार्टनर की डिक्शनरी में भी ये वर्ड ऐड हो जाए. हालांकि मुश्किल है, पर ट्राई करने में क्या हर्ज है.
एक-दूसरे को अंडरस्टैंड करें, मिसअंडरस्टैंड ना करें
पार्टनर को और उनकी बातों को अपने मुताबिक़ ना समझें, क्योंकि लाइफ में सभी का सोचने का नज़रिया अलग-अलग होता है. किसी बात को लेकर आपकी और उनकी राय अलग-अलग हो सकती है. एक-दूसरे पर अपनी राय ना थोपें, बल्कि जिसको जैसा पसंद है उसे वैसा करने की आज़ादी दें, ताकि आप दोनों एक-दूसरे का सम्मान कर सकें और झगड़े की वजह ही ख़त्म हो जाए.
जादू की झप्पी बना दे बिगड़े काम
कभी आपने ट्राई किया है कि पार्टनर ग़ुस्से में लगातार चिल्ला रहे हों और आप तुरंत उन्हें गले लगा लें. हां, भई हमें पता है थोड़ा डेंजरस साउंड कर रहा है, पर यक़ीनन ये वर्क ज़रूर करेगा. एक बार आपके पार्टनर चौंकेंगे ज़रूर. लेकिन फिर वो ग़ुस्सा प्यार भरी डांट में ना बदल जाए, तो कहना. वो प्यार से आपको ही कहेंगे कि तुम क्यूं लड़ती हो मुझसे. लेकिन उस पर रिएक्ट करने ना बैठ जाना कि मैं नहीं आप लड़ते हो. बस, फिर क्या, उन पलों को एंजॉय करें. लड़ाई कब प्यार में बदल जाएगी, पता भी नहीं चलेगा.
पार्टनर ग़ुस्से में हों तो आप चुप रहें
अगर पार्टनर ग़ुस्से में हों और आप भी लगातार बोल रही हों, तो किसी को किसी की बात समझ नहीं आएगी. बेकार में बात और भी ज़्यादा बिगड़ जाएगी. अगर आपको लगता है पार्टनर बहुत ग़लत बोल रहा है, तो थोड़ा संयम से काम लें. उनका ग़ुस्सा शांत तो होने दें. फिर बैठकर आराम से मुद्दे को सुलझाएं.
पार्टनर के ईगो को संतुष्ट करें
कई लोगों की यह आदत होती है कि उन्हें अपनी बात मनवाकर ही ख़ुशी मिलती है और अगर सामने वाला उनकी बात काटें, तो वह ईगो पर ले लेते हैं. इसलिए जब वह ग़ुस्से में हो तो उनकी हां में हां मिलाए. आपको कमज़ोर और ख़ुद को मज़बूत देखकर उनका ग़ुस्सा शांत हो जाएगा. बाद में उन्हें अपनी ग़लती का एहसास ज़रूर होगा कि वह कितना ग़लत थे.
ग़ुस्से के कारणों का पता करें
एक बार अगर आपको यह पता चल जाए कि पार्टनर को क्या बातें पसंद नहीं हैं और उन्हें किन बातों पर ग़ुस्सा आता है, तो उन बातों में बदलाव लाएं. उन चीज़ों को इग्नोर करें. इससे पार्टनर के ग़ुस्से को कंट्रोल करने में काफ़ी आसानी होगी. उनके सामने वह बातें ना करें, जो उन्हें ग़ुस्सा दिलाती हों. जैसे अगर उन्हें आपका हर वक़्त फोन देखना पसंद नहीं, तो उनके सामने ऐसा करने से बचें और उनके साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें.
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पुराने मतभेदों को लेकर ना बैठे रहें
अगर आप अपने ग़ुस्सैल साथी पर क़ाबू पाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने मन से सभी मतभेदों को निकालना होगा. अगर आप अपने पुराने झगड़ों को मुद्दा बनाकर बैठे रहेंगे, तो आप दोनों के बीच चीज़ें कभी भी सही नहीं हो पाएंगी. हर रिलेशनशिप में दिक़्क़तें होती हैं. कई बार पार्टनर की इच्छाएं भी अलग होती हैं, जिनको नज़रअंदाज़ करने से भी रिलेशन में परेशानी शुरू हो जाती हैं.
लड़ाई बढ़ने लगे तो वहां से चले जाएं
ये भी एक अच्छा तरीक़ा है. अगर लगे कि पार्टनर का ग़ुस्सा आपकी बर्दाश्त से बाहर हो रहा है, तो तुरंत ख़ुद को किसी और काम में बिज़ी कर लें. वहां से हट जाए़ं, ताकि बात ज़्यादा ना बढ़े. जैसे अपनी पसंद की कुकिंग कर लें. टीवी देख लें, किसी से फोन पर बात कर लें, ताकि आपका ग़ुस्सा भी शांत हो.
हार के बाद ही जीत है
पार्टनर के साथ होनेवाली बहस को हार-जीत का मुद्दा ना बनाएं. ग़ुस्सैल साथी के साथ किसी तर्क में जीतने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. वह कभी भी आक्रमक हो सकता है. बेशक आप सही हों, लेकिन यह समय ख़ुद को सही साबित करने का नहीं है. हो सकता है आप अपने पार्टनर के साथ बहस में हार जाएं, लेकिन ऐसा करके आप अपने रिश्ता और पार्टनर को यक़ीनन जीत लेंगे.
मूड देखकर करें बात
जब पार्टनर का ग़ुस्सा कम हो जाए, तो उनका मूड देखकर बात करें. उन्हें प्यार से समझाएं कि ग़ुस्सा किसी बात का हल नहीं और इससे उनकी सेहत पर भी असर पड़ेगा. उन्हें महसूस कराएं कि ग़ुस्से में वो क्या ग़लती कर देते हैं. शांत होने पर जब वे आपकी बात समझेंगे तो माफ़ी भी मांग लेंगे.
एंगर मैनेजमेंट थेरेपी
कई बार किसी ट्रॉमा की वजह से भी इंसान का व्यवहार ग़ुस्सैल हो जाता है. हो सकता है बचपन के किसी ट्रॉमा से गुज़रने के कारण आपके पार्टनर का नेचर भी ऐसा बन गया हो. इसके अलावा क्या पता वो अब भी उस स्थिति से जूझ रहे हों. ये भी हो सकता है कि वे घर या ऑफिस की किसी बात से परेशान हों, अगर ऐसा है, तो उस बात को जानकर उसे सॉल्व करने की कोशिश करें. दरअसल, एंगर मैनेजमेंट थेरेपी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आपको ग़ुस्सा आने के संकेतों को समझना और ग़ुस्से को शांत करना तथा ऐसी स्थिति से अच्छे से निपटना सिखाया जाता है. इसे ही एंगर मैनेजमेंट थेरेपी कहा जाता है. ऐसे में उनका ग़ुस्सा शांत या कंट्रोल करने के लिए उन्हें एंगर मैनेजमेंट थेरेपी के लिए लेकर जा सकते हैं. इससे उन्हें अपना ग़ुस्सा शांत करने में मदद मिलेगी.
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एक हद तक बर्दाश्त करें
ग़ुस्सा करना एक बात है और पब्लिकली इंसल्ट करना दूसरी बात. अगर पार्टनर इस ग़ुस्से को स़िर्फ घर तक सीमित न रखकर बाहर पब्लिकली भी आपको नीचा दिखाता है. और कई बार बात करने पर भी उसका वही रवैया है, तो पार्टनर से अपने रिश्ते को लेकर दो टूक बात करने का वक़्त आ गया है.
अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट से समझौता ना करें
पार्टनर को शांत करने के लिए हर बार आपका झुक जाना समझ आता है. लेकिन बार-बार अगर आपके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाई जा रही है और आप ख़ुद में टूटने लगी हैं, तो यह आपके ख़ुद के लिए सही नहीं है. पार्टनर के ग़ुस्से के साथ डील करें. लेकिन अगर एक समय पर आपको लगे कि अब पार्टनर के साथ डील करना भी बेकार है, तो थोड़ा ठहर जाएं और सोचें. अब शायद वक़्त आ गया है कि इस रिश्ते के बारे में ना सोचकर आप अपने बारे में सोचें और फिर कोई फ़ैसला लें.
- शिखा जैन
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